कोरोना वायरस: कुछ लोग कई महीनों बाद भी पूरी तरह से ठीक क्यों नहीं हो रहे?
कोरोना वायरस की चपेट में आए अधिकतर लोगों में इसके हल्के लक्षण नजर आते हैं, लेकिन कई लोगों पर लंबे समय तक इसका असर रहता है। उन्हें ठीक होने के कई महीनों बाद तक थकान, दर्द और सांस लेने में परेशानी आती रहती है। ऐसी स्थिति को 'लॉन्ग कोविड' के नाम से जाना जा रहा है। इससे लोगों के जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। वो कुछ कदम चलने के बाद ही थकान की शिकायत कर रहे हैं।
बड़ी संख्या में सामने आ रहे लॉन्ग कोविड के मामले
महामारी का नौ महीने से ज्यादा का समय गुजरने के बाद कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जब लोगों को लंबे समय तक कोरोना के प्रभाव को झेलना पड़ रहा है। आइये, इससे जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
लॉन्ग कोविड होता क्या है?
अभी तक इसकी कोई मेडिकल परिभाषा नहीं है। साथ ही ऐसा भी नहीं है कि इससे पीड़ित सभी लोगों में एक जैसे लक्षण नजर आते हों। हालांकि, सांस लेने में परेशानी, ठीक न होने वाली खांसी, जोड़ों का दर्द, सुनने या देखने में परेशानी, सिरदर्द, स्वाद और गंध महसूस न होना, दिल, फेफड़े और गुर्दों को नुकसान होना, डिप्रेशन और बेचैनी आदि ऐसे लक्षण हैं, जो आमतौर पर इसके पीड़ित मरीजों में देखे जा रहे हैं।
हल्के संक्रमण वाले मरीजों भी आ रहे लॉन्ग कोविड की चपेट में
लॉन्ग कोविड के लक्षण केवल उन मरीजों में नहीं देखे जा रहे, जिन्हें कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल के इनटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में लंबा समय बीताना पड़ा था बल्कि हल्के संक्रमण वाले लोग भी ऐसे लक्षण महसूस कर रहे हैं।
कितने प्रतिशत लोगों में ऐसे लक्षण देखे जा रहे हैं?
बीबीसी के अनुसार, 143 लोगों पर हुए अध्ययन में सामने आया कि लगभग 87 प्रतिशत मरीजों में कोरोना संक्रमण से ठीक होने के दो महीने बाद भी कम से कम एक लक्षण देखा जा रहा है और आधे से ज्यादा लोगों को थकान महसूस होती है। वहीं इंग्लैंड में कोविड सिम्पटम ट्रैकर ऐप के अनुसार, लगभग 12 प्रतिशत लोगों में संक्रमण के 30 दिन और 2 प्रतिशत लोगों में 90 दिन बाद भी कोई न कोई लक्षण दिख रहा है।
लॉन्ग कोविड किस वजह से होता है?
कई जानकारों का मानना है कि संक्रमण के बाद निमोनिया होने से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है, जिससे सेहत खराब रहने लगती है, लेकिन इस सवाल का ठोस जवाब किसी के पास नहीं है। कुछ समय के बाद अधिकतर वायरस शरीर से निकल जाता है, लेकिन यह कई बार थोड़ी-बहुत मात्रा में शरीर में रह जाता है। कुछ यह भी मानते हैं कि संक्रमण के बाद इम्यून सिस्टम पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाता, जिससे आदमी बीमार रहने लगता है।
क्या कहते हैं जानकार?
लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर टिम स्पेक्टर कहते हैं, "अगर किसी को लंबे समय तक डायरिया है तो इसका मतलब है कि आंत में वायरस है। वहीं अगर गंध महसूस नहीं हो रही तो यह नसों में है, जो दिक्कत पैदा कर रहा है।" कोरोना वायरस शरीर में कई कोशिकाओं को निशाना बनाता है, जिससे बचाव के लिए इम्यून सिस्टम अतिरिक्त काम करने लगता है। कई बार इससे भी शरीर को नुकसान पहुंचता है।
क्या लॉन्ग कोविड से लोग पूरी तरह ठीक हो सकते हैं?
बढ़ते समय के साथ लॉन्ग कोविड से ठीक होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रहा है। हालांकि, अभी तक ऐसे आंकड़े मौजूद नहीं हैं, जिनके आधार पर समयसीमा को लेकर कोई दावा किया जा सके। जानकारों का कहना है कि अधिकतर लोग एक साल के भीतर-भीतर लॉन्ग कोविड के सभी लक्षणों से ठीक हो जाएंगे, लेकिन कुछ मामले इससे आगे भी जा सकते हैं। कुछ लोगों में आने वाले सालों में भी इसका असर दिख सकता है।