केरल के वायनाड में भूस्खलन के बीच बढ़ रहा है 'डार्क टूरिज्म', जानें इसका अर्थ
'भगवान का अपना देश' कहलाए जाने वाले राज्य केरल में इन दिनों तबाही मची हुई है। यह राज्य अपने इतिहास की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। केरल के वायनाड में बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन ने 308 से अधिक लोगों की जान ले ली है, जिसके जरिए एक अन्य परेशानी भी उजागर हुई है। इस आपदा के बीच एक असामान्य ट्रेंड उभर रहा है, जिसे 'डार्क टूरिज्म' के नाम से जाना जाता है।
क्या होता है डार्क टूरिज्म?
डार्क टूरिज्म एक बढ़ती हुई घटना है, जिसमें मृत्यु, पीड़ा, त्रासदी या हिंसा से जुड़े स्थलों की यात्रा की जाती जाता है। इसमें कब्रिस्तान, मकबरे, आपदा क्षेत्र, युद्धक्षेत्र, स्मारक, जेल, निष्पादन स्थल और अपराध स्थल शामिल हो सकते हैं। डार्क टूरिज्म वाले लोकप्रिय स्थलों में यूक्रेन के चेरनोबिल अपवर्जन क्षेत्र, कंबोडिया की किलिंग फील्ड्स, पोलैंड का ऑशविट्ज और अमेरिका का 9/11 मेमोरियल शामिल है। साथ ही इनमें हॉन्टेड हाउस और कुख्यात ऐतिहासिक घटनाओं वाले स्थान भी शामिल होते हैं।
वायनाड में तेजी से बढ़ रहा है डार्क टूरिज्म
माना जाता है कि डार्क टूरिज्म की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध से हुई थी। इसमें बड़े पैमाने पर पर्यटक मानव त्रासदी से जुड़े स्थलों की ओर आकर्षित होते हैं। वायनाड में चल रहे संकट और गंभीर परिस्थिति के बावजूद ऐसे पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह चलन इस हद तक बढ़ गया है कि स्थानीय पुलिस को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में जाने के खिलाफ सोशल मीडिया पर चेतावनी जारी करने की जरूरत पड़ गई है।
पुलिस द्वारा जारी की गई चेतावनी में लिखी है ये बात
केरल पुलिस ने ट्विटर का सहारा लेते हुए जनता से आपदाग्रस्त इलाकों में जाने से परहेज करने की अपील की है। लोगों के वायनाड की यात्रा पर आने से हालिया बचाव अभियान बाधित हो सकते हैं। पुलिस द्वारा जारी की गई चेतावनी में कहा गया है, "कृपया दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए आपदा क्षेत्रों में न जाएं। इससे बचाव कार्यों में बाधा आएगी।" ट्वीट में आगे लिखा गया, "किसी भी प्रकार की सहायता के लिए 112 पर कॉल करें।"
वायनाड में अब भी जारी है बचाव अभियान
वायनाड में 30 जुलाई को भूस्खलन की 2 घटनाएं हुईं, जिनमें जन-जाती समेत पर्यावरण की काफी क्षति हुई। इसके बाद शुरू हुए बचाव अभियान अभी तक जारी हैं। एक हालिया उपग्रह छवि से पता चला है कि इरुवाइफुझा नदी के किनारे की लगभग 86,000 वर्ग मीटर भूमि भूस्खलन से विस्थापित हो गई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वायनाड में बचाव और राहत कार्य में सेना, वायुसेना और नौसेना के बचावकर्मियों की 40 टीमें लगी हुई हैं।