
झारखंड की कला और संस्कृति को दर्शाते हैं ये 5 लोक नृत्य, इनके बारे में जानिए
क्या है खबर?
झारखंड भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है, जो अपने खनिज संसाधनों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह राज्य अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए भी मशहूर है, जिसमें अलग-अलग प्रकार के लोक नृत्य शामिल हैं। ये लोक नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि यहां की जनता की जीवनशैली, त्योहारों और परंपराओं का भी परिचायक हैं। आइए आज झारखंड के पांच प्रमुख लोक नृत्य के बारे में जानते हैं।
#1
झुमइर
झुमइर झारखंड का एक प्रमुख लोक नृत्य है, जिसे महिलाएं खास मौकों पर करती हैं। यह नृत्य आमतौर पर शादी-ब्याह और त्योहारों के दौरान होता है। झुमइर में महिलाएं पारंपरिक कपड़ों में सज-धजकर झूमते हुए गाती हैं और ताल पर नाचती हैं। इस नृत्य में झुमरी पहनने की परंपरा होती है, जो सिर पर रखी जाती है। झुमइर नृत्य की थाप पर महिलाएं कदम मिलाकर नाचती हैं, जिससे एक सुंदर दृश्य बनता है।
#2
छऊ
छऊ नृत्य झारखंड के पुरातन युद्ध कला पर आधारित एक लोक नृत्य है। इसमें पुरुष कलाकार युद्ध के अलग-अलग रूपों को दर्शाते हैं। छऊ नृत्य में कठपुतली, मुखौटे और भारी कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया जाता है। यह नृत्य मुख्य रूप से चैत्र और बसंत उत्सव के दौरान होता है। छऊ नृत्य की खासियत इसके रंग-बिरंगे परिधान और कठपुतलियों का उपयोग है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
#3
डोमकच
डोमकच नृत्य झारखंड के आदिवासी समुदायों द्वारा किया जाता है, जिसमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल होते हैं। इस नृत्य में ढोल-नगाड़े बजाकर लोग ताल पर थिरकते हैं। डोमकच नृत्य मुख्य रूप से फसल कटाई के बाद होने वाले त्योहारों पर होता है। इस नृत्य की खासियत ढोल-नगाड़ों की थाप पर लोग थिरकते हुए अपनी खुशी व्यक्त करते हैं। यह नृत्य आदिवासी संस्कृति का अहम हिस्सा है, जो उनकी जीवनशैली को दर्शाता है।
#4
फगुआ
फगुआ नृत्य होली जैसे त्योहारों पर किया जाता है, जिसमें लोग रंगों से खेलते हुए गाते-गुनगुनाते हुए नाचते हैं। फगुआ नृत्य झारखंड के ग्रामीण इलाकों में बहुत लोकप्रिय है। इस नृत्य में लोग पारंपरिक कपड़ों में सज-धजकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं। फगुआ नृत्य की खासियत रंगों से खेलना और पारंपरिक गाने गाना है, जो होली के उत्सव का आनंद बढ़ाते हैं। यह नृत्य ग्रामीण जीवन का अहम हिस्सा है।
#5
पाइका
पाइका झारखंड के मुंडा समुदाय द्वारा किया जाता है, जिसमें पुरुष अपने शरीर पर लकड़ी की छड़ी लेकर प्रदर्शन करते हैं। पाइका युद्ध कला पर आधारित है, जिसमें लोग अपनी वीरता दिखाते हैं। इस नृत्य में लोग अपनी शक्ति और कौशल दिखाते हुए लकड़ी की छड़ी का उपयोग करते हैं। यह नृत्य आदिवासी संस्कृति का अहम हिस्सा है, जो उनकी वीरता और साहस को दर्शाता है। पाइका की खासियत इसका युद्ध कला प्रदर्शन है।