भारत की ये 5 प्राचीन तकनीकें आलस को दूर करने और उत्पादकता बढ़ाने में है मददगार
क्या है खबर?
दिनभर काम करने के बाद थकान होना लाजमी है, जो आलस को भी जन्म देती है। थका-हारा और आलस में डूबा हुआ इंसान काम करने की इच्छा खो देता है और उसकी उत्पादकता खुद-ब-खुद कम हो जाती है।
अगर आप आलस को दूर करके अधिक उत्पादक बनना चाहते हैं तो भारत की कुछ प्राचीन तकनीकें आपके काम आ सकती हैं।
ये आयुर्वेदिक तकनीकें आपके दिमाग को सक्रीय करेंगी, ध्यान लगाने में मदद करेंगी और आपको उत्पादक बना देंगी।
#1
ब्रह्म मुहूर्त में जागना
ब्रह्म मुहूर्त में जागने की प्रथा भारत में सदियों से निभाई जा रही है। इसे सूर्योदय से पहले का शुभ समय माना जाता है, जो सुबह 4 बजे से 5:30 बजे के बीच होता है।
इसे आध्यात्मिक रूप से दिन का सबसे सक्रिय समय माना जाता है। ऋषियों का मानना है कि इस समय जागने से स्पष्टता, प्रेरणा और रचनात्मकता में सुधार होता है।
इससे मन शांत और स्थिर रहता है और काम में ध्यान लगाना आसान हो जाता है।
#2
उषापान करें
उषापान का मतलब होता है सुबह उठने के बाद सबसे पहले पानी पीना। इसे आयुर्वेद में अमृतपान भी कहा जाता है।
इसके लिए सोने से पहले तांबे के जग में पानी भरकर रख लें और सुबह उसे पिएं। यह तकनीक शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करती है, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है और चयापचय को बढ़ाती है।
इसके जरिए पाचन तंत्र को सक्रीय करने और दिमाग को तरोताजा रखने में मदद मिलती है।
#3
वैदिक मंत्र सुनें
वैदिक मंत्र प्राचीन संस्कृत मंत्र हैं, जो हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ वेदों के छंद हैं। रोजाना सुबह शांत मन से इन मंत्रों को सुनना दिमाग को आराम दे सकता है और उत्पादकता को बढ़ा सकता है।
इन मंत्रों से उत्पन्न होने वाली कंपन मानसिक शोर को शांत करने, चिंता को कम करने और आंतरिक एकाग्रता की भावना पैदा करने में मदद करती है।
आप गायत्री मंत्र जैसे मंत्रों को गाकर भी तंत्रिका तंत्र को मजबूत कर सकते हैं।
#4
नंगे पैर घास पर चलें
सुबह के वक्त घास पर ओंस ठहर जाती है, जिसपर चलना एक अच्छा निर्णय हो सकता है। आयुर्वेद के मुताबिक, सुबह घास पर नंगे पैर चलने से आखों की रोशनी बढ़ जाती है।
इस तकनीक को पृथ्वी स्नान भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है पृथ्वी की प्राकृतिक ऊर्जा को सोखना।
यह प्राचीन अभ्यास तनाव को कम करता है, मूड को बेहतर बनाता है और नींद की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है।
#5
अभ्यंग करवाएं
अभ्यंग आयुर्वेद की एक चिकित्सा पद्धति है, जो आलस को दूर भगाने में सहायक साबित हो सकती है। इसमें गुनगुने तेल से पूरे शरीर की मालिश करना शामिल होता है।
इसके जरिए रक्त संचार सुधर जाता है, थकान दूर हो जाती है और सतर्कता बढ़ती है। यह अभ्यास पारंपरिक रूप से सुबह नहाने से पहले किया जाता है।
अभ्यंग से शरीर की ऊर्जा संतुलित होती है और सभी विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।