धमकियों के कारण घर नहीं जा पा रहीं सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाएं
क्या है खबर?
केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ने वाली कनक दुर्गा और बिंदू अम्मिनी अब कट्टरपंथियों से मिल रही धमकियों के कारण अपने घर नहीं लौट पा रही हैं।
कनक और बिंदू सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली रजस्वला उम्र की पहली महिलाएं हैं।
उन्होंने 2 जनवरी को मंदिर में प्रवेश कर सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ा था। इसके बाद से ही राज्य में हिंसा और अशांति का माहौल है।
सुरक्षा
प्रशासन से सुरक्षा की उम्मीद
कनक और बिंदू ने कोच्चि के पास एक अज्ञात जगह से समाचार एजेंसी रॉयटर्स को इंटरव्यू दिया है.
उन्होंने कहा, "हिंसा की धमकी के बावजूद वे मंदिर में घुसने को लेकर प्रतिबद्ध थीं। कई पुलिस अधिकारियों और यहां तक कि हमारे दोस्तों ने भी हमें यह समझाने की कोशिश की कि हम मंदिर में न जाएं और लौट जाएं।"
दोनों महिलाओं को उम्मीद है कि प्रशासन उन्हें सुरक्षा देगा और वह अगले हफ्ते तक अपने घर वापस जा पाएंगी।
जीवन
फेसबुक पेज के जरिए हुई थी दोनों की मुलाकात
बिंदु अपने कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति में काफी सक्रिय थीं। वे वामपंथी छात्र संगठन केरल विधार्थी संगठन की सदस्य रह चुकी हैं।
केरल यूनिवर्सिटी से कानून में मास्टर्स करने के बाद बिंदु ने कन्नूर यूनिवर्सिटी में पढ़ाना शुरू कर दिया था।
वहीं, कनक स्टेट सिविल सप्लायर्स कॉर्पोरेशन में सहायक मैनेजर हैं और वह धार्मिक प्रवृति की महिला हैं।
कनक और बिंदु की मुलाकात सबरीमाला मंदिर में जाने की इच्छुक महिलाओं के फेसबुक पेज के माध्यम से हुई थी।
विवाद का मुद्दा
जानें क्या है सबरीमाला विवाद?
सबरीमाला मंदिर में सदियों से 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है।
मामले में पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए प्रवेश से पाबंदी हटा दी थी।
लेकिन श्रद्धालु हजारों साल पुरानी परंपरा को खत्म किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से कई महिलाएं मंदिर में प्रवेश का दावा कर चुकी हैं।