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    यौन उत्पीड़न के आरोपों पर CJI रंजन गोगोई बोले- न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में

    यौन उत्पीड़न के आरोपों पर CJI रंजन गोगोई बोले- न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में
    लेखन प्रमोद कुमार
    Apr 20, 2019, 12:20 pm 1 मिनट में पढ़ें
    यौन उत्पीड़न के आरोपों पर CJI रंजन गोगोई बोले- न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में

    सुप्रीम कोर्ट में काम कर चुकी एक 35 वर्षीय महिला ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के रूप में काम कर चुकी महिला ने शुक्रवार को 22 जजों को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि CJI गोगोई ने उनसे अपने घर में बने कार्यालय में 10 और 11 अक्तूबर को यौन उत्पीड़न किया। इसके जवाब में प्रतिक्रिया देते हुए कोर्ट के महासचिव ने इन आरोपों को झूठ बताया है।

    सुप्रीम कोर्ट ने किया आरोपों का खंडन

    अपने हलफनामे में महिला ने कहा कि CJI ने उन्हें गलत तरीके से छूआ। महिला ने लिखा कि उनके विरोध के बावजूद CJI ने उन्हें बाहर नहीं जाने दिया। न्यूज पोर्टल स्क्रॉल के मुताबिक, इसके संबंध में भेजे गये सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने इन आरोपों को बिल्कुल झूठ और मिथ्या बताया है। उन्होंने कहा कि पत्र संस्था को बदनाम करने की साजिश हो सकती है।

    महिला ने 22 जजों को लिखा पत्र

    #BreakingNews
    Shocking case coming to fore#ChiefJusticeOfIndia (Ranjan Gogoi) sexually harassed me, says former SC staffer in affidavit to 22 judges.

    The Chief Justice of India has denied the charges. The woman has asked for a special enquiry committee. pic.twitter.com/TBXF454cy5

    — Aishwarya Paliwal (@AishPaliwal) April 20, 2019

    महिला का दावा- घटना के बाद नौकरी से निकाला गया

    महिला ने अपने पत्र में कहा कि उसने CJI को अपने हाथों से दूर धकेला। महिला ने कहा कि उसे चेतावनी दी गई थी कि वह इस बारे में किसी से बात नहीं करेगी। उसने बताया कि इस घटना के चार सप्ताह बाद उसको सुप्रीम कोर्ट के तीन अलग-अलग विभागों में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद नवंबर में उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई और 21 दिसंबर, 2018 को उसे नौकरी से निकाल दिया गया।

    महिला के खिलाफ दर्ज है मुकदमा

    इसके साथ महिला ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस में काम कर रहे उसके पति और जीजा को भी नौकरी से निकाल दिया गया था। मार्च में हरियाणा निवासी नवीन कुमार ने इस महिला के खिलाफ पुलिस में शिकायत दी थी कि सुप्रीम कोर्ट में नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे Rs. 50,000 की रिश्वत ली गई है। कोर्ट को भेजे अपने पत्र में महिला ने कुमार के आरोपों को झूठ और अपने परिवार को धमकाने की साजिश बताया है।

    'महिला और CJI के बीच कोई बातचीत नहीं'

    CJI पर महिला द्वारा लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया है। कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि यह महिला उन 5-6 लोगों में शामिल थीं, जो CJI के घर पर काम करते थे। महिला ने उनके घर पर बने ऑफिस में थोड़े समय के लिए काम किया था। इस दौरान महिला और CJI के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। बयान में महिला के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले का भी जिक्र है।

    CJI बोले- न्यायपालिका की स्वतंतत्रा खतरे में

    CJI रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वे इन आरोपों का जवाब नहीं देना चाहते। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है और न्यायपालिक को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है। दरअसल, महिला का पत्र मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। इस दौरान CJI ने कहा कि अगले हफ्ते कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई होनी है, इसलिए जानबूझकर ऐसे आरोप लगाए गए हैं।

    CJI बोले- महिला के पीछे बड़ी ताकतें

    CJI on sexual harassment allegations against him says independence of judiciary is under very very serious threat and there is a “larger conspiracy” to destabilise the judiciary. He says there is some bigger force behind the woman who made sexual harassment charges. https://t.co/tc05vQcBZK

    — ANI (@ANI) April 20, 2019
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    भारतीय सुप्रीम कोर्ट
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