UPSC को लेटरल एंट्री का विज्ञापन निरस्त करने को कहा गया, विरोध के बीच झुकी सरकार
लेटरल एंट्री के जरिए विभिन्न मंत्रालयों में 45 पदों को भरने के निर्णय का भारी विरोध होने के बाद केंद्र सरकार अपने कदम से पीछे हट गई है। केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को पत्र लिखकर लेटरल एंट्री के लिए जारी किए गए अपने विज्ञापन को निरस्त करने को कहा है। केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेशों को हवाला देते हुए यह कदम उठाने की जानकारी दी है।
केंद्रीय मंत्री ने पत्र में क्या लिखा?
केंद्रीय मंत्री ने पत्र में लिखा, "लेटरल एंट्री से भरे जाने वाले पद एकल-कैडर के रूप में नामित है, इसलिए इनमें आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने पर प्रधानमंत्री मोदी के फोकस के संदर्भ में इस पहलू की समीक्षा और सुधार की आवश्यकता है। ऐसे में प्रधानमंत्री ने लिखा कि वह UPSC से लेटरल एंट्री के विज्ञापन को रद्द करने का आग्रह करते हैं। यह कदम सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी।"
क्या है लेटरल एंट्री विवाद?
लेटरल एंट्री सरकारी विभागों में विशेषज्ञों को अनुबंध पर नियुक्त करने की प्रक्रिया है। 2018 से केंद्र सरकार संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के स्तर पर इस तरह की भर्तियां कर रही हैं। दरअसल, सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र के अनुभवी अधिकारियों को विभिन्न विभागों में नियुक्त किया जाए। हालांकि, सरकार के इस कदम का विपक्ष ने विरोध किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आरोप है सरकार ST, SC और OBC का हक डकार रही है।