दिल्ली हाई कोर्ट का निर्देश, राहुल गांधी नागरिकता मामले की सुनवाई जनहित याचिका की तरह होगी
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को राहुल गांधी की नागरिकता के मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने का निर्णय लिया। उन्होंने याचिका को रोस्टर पीठ के समक्ष भेजा है। बार एंड बेंच के मुताबिक, कोर्ट ने निर्देश दिया कि सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को रोस्टर पीठ के समक्ष जनहित याचिका के रूप में सूचीबद्ध किया जाए। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने मामले के गुण और दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
कोर्ट ने क्या कहा?
रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने याचिका पर सुनवाई के दौरान पाया कि स्वामी इस मामले में कोई "लागू करने योग्य संवैधानिक अधिकार" प्रदर्शित करने में विफल रहे। कोर्ट ने स्वामी के इस रुख पर गौर किया कि मामले में जनहित शामिल है और कहा कि याचिका पर जनहित याचिकाओं से निपटने वाली रोस्टर पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी। इसलिए, कोर्ट ने मामले को रोस्टर पीठ (कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता में) को स्थानांतरित कर दिया है।
क्या है मामला?
स्वामी ने याचिका दायर करते हुए कोर्ट से केंद्र सरकार को राहुल गांधी के खिलाफ अपनी शिकायत पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने की मांग की है। स्वामी ने मामले में केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए इसलिए कहा है क्योंकि गृह मंत्रालय ने 20 अप्रैल, 2019 को राहुल को "नागरिकता के संबंध में शिकायत" विषय पर नोटिस भेजा था। स्वामी का आरोप है कि राहुल ब्रिटेन की बैकऑप्स लिमिटेड कंपनी में राहुल निदेशक और सचिव थे।