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सबरीमाला विवादः मंदिर में प्रवेश करने जा रही दो महिलाओं को प्रदर्शनकारियों ने वापस लौटाया

सबरीमाला विवादः मंदिर में प्रवेश करने जा रही दो महिलाओं को प्रदर्शनकारियों ने वापस लौटाया

Jan 16, 2019
01:35 pm

क्या है खबर?

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर लगातार विवाद जारी है। बुधवार को मंदिर में प्रवेश करने के लिए जा रही दो महिलाओं को प्रदर्शनकारियों के विरोध के बीच वापस लौटना पड़ा। कन्नूर की रहने वालीं रेशमा निसांथ और शनीला साजेश नामक इन महिलाओं ने पुरुषों के कपड़े पहनकर मंदिर जाने के लिए लगभग 5.5 किलोमीटर का रास्ता तय कर लिया था। दोनों महिलाओं ने बताया कि पुलिस ने उन्हें सुरक्षा देने की बात कही थी।

विरोध

5 प्रदर्शनकारी हिरासत में

पुलिस ने इन महिलाओं का रास्ता रोकने वाले 5 प्रदर्शनकारियों को हिरासत मे ले लिया था। इसके बाद महिलाओं ने मंदिर जाने के लिए अपना सफर जारी रखा, लेकिन आगे जाकर भारी भीड़ ने महिलाओं को घेर लिया। लगभग दो घंटे तक पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच विवाद होता रहा, जिसके बाद पुलिस ने बलपूर्वक भीड़ को वहां से हटाया। पुलिस ने स्थिति बिगड़ने का हवाला देकर महिलाओं को पंबा बेस कैंप पर ही रोक लिया।

जानकारी

मंत्री ने बताया खेदजनक

राज्य के मंदिर मंत्री के सुरेंद्रन ने कहा कि इन महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना बहुत खेदजनक है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए प्रदर्शनकारियों के साथ बहुत संयमित व्यवहार किया।

हमला

मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला पर सास ने किया था हमला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबरीमाला मंदिर में सबसे पहले प्रवेश करने वाली दो महिलाओं में से एक कनकदुर्गा पर मंगलवार को उनकी सास ने हमला किया था। इस हमले के बाद कनकदुर्गा को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। बता दें कि कनकदुर्गा ने इस महीने की शुरुआत में बिंदु अम्मिनी नाम की दूसरी महिला के साथ मिलकर भगवान अयप्पा के दर्शन कर इतिहास रचा था।

प्रतिबंध

मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर था प्रतिबंध

माना जाता है कि सबरीमाला मंदिर के मुख्य देवता अयप्पा ब्रह्मचारी थे, और महिलाओं के मंदिर में जाने से उनका ध्यान भंग होता है। इसलिए यहां 10-50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में दिए अपने फैसले में इस परंपरा पर रोक लगाते हुए मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी। कई हिंदूवादी संगठन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।