तिरुपति मंदिर के लड्डू चर्चा में; कैसे बनाए जाते हैं और क्या है खास?
आंध्र प्रदेश का प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर इन दिनों खूब सुर्खियों में है। मंदिर में प्रसाद के तौर पर चढ़ाए और बांटे जाने वाले लड्डू में जानवर की चर्बी पाई गई है। गुजरात की एक प्रयोगशाला ने लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में मछली का तेल और जानवरों की चर्बी के अंश पाए जाने की पुष्टि की है। इसके बाद सियासी हंगामा शुरू हो गया है। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।
सबसे पहले जानिए रिपोर्ट में क्या सामने आया
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन, खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) ने लड्डू से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में पशु की चर्बी पाई गई थी। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि घी में मछली का तेल, चर्बी और कुछ मात्रा में लार्ड भी मिला है, जो सूअर के फैटी टिश्यू से निकाली गई चर्बी होती है।
क्या है लड्डू का महत्व?
तिरुपति मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। इस वजह से इन लड्डूओं का खास महत्व है, क्योंकि ये भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर का विशेष प्रसाद है। मंदिर का संचालन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट करता है। इन लड्डूओं को ज्योग्राफिक इंडिकेशन (GI) टैग मिला हुआ है। ये ऐसे उत्पादों को मिलता है, जिनकी खासियत और प्रतिष्ठा उस जगह की वजह से होती है, जहां वे बनाए जाते हैं।
कैसे बनाए जाते हैं लड्डू?
लड्डूओं के बनाने के लिए यहां के कारीगर 300 साल पुरानी पारंपरिक विधि का प्रयोग करते हैं। लड्डूओं को तिरूपति बालाजी मंदिर की रसोई 'पोटू' में बनाया जाता है। लड्डू की सामग्री खरीदने के लिए हर 6 महीने में ऑनलाइन टेंडर निकाला जाता है। लड्डू बनाने के लिए एक साल में मंदिर प्रशासन करीब 5 लाख किलोग्राम घी, 22,500 किलोग्राम काजू, 15,000 किलोग्राम किशमिश, 6,000 किलोग्राम इलायची, बेसन और चीनी खरीदता है।
कितनी है लड्डूओं की कीमत?
लड्डू मंदिर परिसर के अलावा मंदिर के बाहर भी विशेष काउंटरों पर भी मिलते हैं। लड्डू 3 तरह के होते हैं- छोटे, मध्यम और बड़े। छोटे लड्डू 40 ग्राम, मध्यम 175 ग्राम और बड़े 750 ग्राम के होते हैं। हर श्रद्धालु को एक छोटा लड्डू मुफ्त दिया जाता है, जबकि मध्यम लड्डू के लिए 50 और बड़े लड्डू के लिए 200 रुपये अलग से देने होते हैं। 2008 तक 25 रुपये में 2 छोटे लड्डू मिलते थे।
न्यूजबाइट्स प्लस
श्री वेंकटेश्वर मंदिर तिरुपति जिले में तिरुमाला पहाड़ी पर है, जिसे तिरुपति बालाजी मंदिर भी कहा जाता है। यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बालों का दान करते हैं। ये दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है, जिसकी सालाना कमाई 3,000 करोड़ रुपये है। मंदिर के पास 10 टन सोने समेत करीब ढाई लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है। हर साल मंदिर को हजारों करोड़ रुपये के अलावा बहुमूल्य जेवरात भी दान में मिलते हैं।