नगरोटा एनकाउंटर: 30 किलोमीटर पैदल चलकर हाइवे तक पहुंचे थे मारे गए आतंकी
क्या है खबर?
बीते गुरुवार को नगरोटा में हुए एनकाउंटर में चार आतंकी मारे गए थे। एनकाउंटर के बाद जांच में पता चला है कि मारे गए चारों आतंकी अंधेरी रात में लगभग 30 किलोमीटर तक पैदल चले थे।
उन्हें कमांडो की तरह ट्रेनिंग देकर भारत भेजा गया था। ये आतंकी 26/11 मुंबई आतंकी हमले की बरसी पर किसी बड़े हमले की फिराक में थे।
वो अपने मंसूबो में कामयाब होते, उससे पहले ही सुरक्षाबलों ने उन्हें ढेर कर दिया।
घुसपैठ
एनकाउंटर से एक दिन पहले भारत में की थी घुसपैठ
गुरुवार सुबह लगभग 5 बजे सुरक्षाबलों ने जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर नगरोटा के पास बान टोल प्लाजा पर एक एनकाउंटर में चार आतंकियों को ढेर कर दिया था। इनके पास से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद हुआ था।
पुलिस अधिकारियों ने सभी आतंकियों के जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े होने की बात कही थी और वे बुधवार शाम को सांबा सेक्टर में घुसपैठ कर भारत में दाखिल हुए थे।
एनकाउंटर के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी
घूसपैठ
आतंकी कैंप से 30 किलोमीटर दूर था पिक-अप प्वाइंट
हिदुस्तान टाइम्स पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, वायरलेस सेट, GPS और मारे गए आतंकियों के पास से बरामद किए गए रिसीवर से पता चला है कि शकरगढ़ स्थित जैश के ठिकाने से 30 किलोमीटर पैदल चलकर सांबा सीमा से होते हुए जाटवाल पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद वो ट्रक में बैठकर आगे के लिए निकले थे।
ये सभी आतंकी कमांडो की तरह प्रशिक्षित थे और इन्हें हथियारों के जखीरे के साथ भारत भेजा गया था।
घुसपैठ
इस रास्ते में की गई घुसपैठ
एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि जटवाल से जैश के शकरगढ़ कैंप की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। ये आंतकी संभवत: सांबा सेक्टर के मावा गांव से होकर सीमा के अंदर घुसे होंगे।
उन्होंने बताया कि नोनाथ नाला के पास कई कच्चे रास्ते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से जटवाल की तरफ आते हैं। यह नाला आगे जाकर बेन नाला में मिल जाता है। आतंकियों को यह दूरी तय करने में कम से कम 2.5-3 घंटे का समय लगा होगा।
एनकाउंटर
रात के 2-3 बजे के बीच ट्रक में सवार हए आतंकी
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे सबूत मिले हैं कि चारों आतंकी रात के 2:30 से 3 बजे के बीच ट्रक में सवार हुए थे। यह ट्रक 3:44 मिनट पर सरोर टोल प्लाजा से गुजरा था।
इसके बाद यह ट्रक नारवाल बाइपास से होते हुए कश्मीर की तरफ बढ़ रहा था, तभी सुरक्षाबलों ने बान प्लाजा के पास इसे रोक लिया।
अधिकारियों ने बताया कि मारे गए आतंकी फिदायिन हमलावर थे और उनके पास कई तरह के हथियार थे।
जानकारी
कासिम जान की भूमिका आई सामने
बताया जा रहा है कि जैश के कमांडर राउफ असगर इस पूरी साजिश की देखरेख कर रहा था तो कासिम जान ने आतंकियों को भारत में घुसपैठ करवाई थी। कासिम 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले का मुख्य आरोपी है।