पेगासस जासूसी कांड: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सोशल मीडिया पर बहस न करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी कांड में जांच की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं से न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा रखने और मामले में सोशल मीडिया पर समानांतर बहस न करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि वे बहस के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जब मामला कोर्ट में है तो इस पर यहां चर्चा होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मामले में सभी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा।
हम चाहते हैं कि सारी बहस कोर्ट में हो- CJI रमन्ना
सोशल मीडिया पर समानांतर बहस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए CJI रमन्ना ने कहा, "किसी को भी सीमा पार नहीं करनी चाहिए और सभी को मामले में मौका दिया जाएगा... याचिकाकर्ता मीडिया में बयान दे रहे हैं। हम चाहते है कि सारी बहस कोर्ट में हो। अगर याचिकाकर्ता सोशल मीडिया पर बहस करना चाहते है तो ये उन पर है, लेकिन अगर वो कोर्ट में आए हैं तो उन्हें कोर्ट में बहस करनी चाहिए। उन्हें कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए।"
CJI ने याचिकाओं की गुणवत्ता पर जताई नाराजगी
CJI रमन्ना ने सुनवाई के दौरान याचिकाओं की गुणवत्ता पर भी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि अधिकांश याचिकाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अखबारों की कटिंग पर आधारित हैं। उन्होंने कहा, "हम सभी याचिकाओं को अखबारों की रिपोर्ट और प्रतिष्ठित पत्रकारों की सामग्री नहीं कहना चाहते। जिन लोगों ने याचिका दायर की उनमें से कुछ ने दावा किया कि उनके फोन हैक हो गए हैं... ऐसा लगता है उन्होंने कानूनी शिकायत दर्ज करने का प्रयास ही नहीं किया।"
सरकार को मिली यशवंत सिन्हा को छोड़ बाकी सभी की याचिका
सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सरकार को यशवंत सिन्हा को छोड़ बाकी सभी की याचिकाएं मिल गई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार से निर्देश लेने का समय चाहिए। अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
इन लोगों ने दायर की है सुप्रीम कोर्ट में याचिका
बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार, माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) सांसद जॉन ब्रिटस और वकील एमएल शर्मा आदि ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले में लगे आरोपों की जांच कराने की मांग की है। इसके अलावा पत्रकारों के संगठन एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी दो दिन पहले मामले में याचिका दायर की है। इन याचिकाओं में किसी मौजूदा या पूर्व जज की अध्यक्षता में SIT जांच की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- अगर रिपोर्ट्स सही तो गंभीर हैं आरोप
इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही हैं तो आरोप गंभीर हैं। CJI रमन्ना ने कहा था, "सच सामने आना चाहिए। हमें नहीं पता इसमें किसके नाम शामिल हैं।" उन्होंने कहा था कि 2019 में भी जासूसी की खबरें आई थीं और उन्हें नहीं पता तब और जानकारी निकालने के लिए प्रयास किए गए थे या नहीं।
क्या है पेगासस जासूसी कांड?
पिछले महीने सामने आई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कई देशों के पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चर्चित हस्तियों की फोन के जरिये जासूसी की गई या इसकी कोशिश की गई। इन लोगों में राहुल गांधी और प्रशांत किशोर समेत विपक्ष के कई नेता, मोदी सरकार के दो मंत्री, कई संवैधानिक अधिकारी और पत्रकार, अनिल अंबानी और CBI के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा समेत कई नाम शामिल थे।