सुप्रीम कोर्ट 15वीं सदी के मकबरे पर कब्जे को लेकर DCWA को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन (DCWA) को शेख अली के 600 साल पुराने मकबरे पर अवैध रूप से कब्जा करने और उसे कार्यालय में परिवर्तित करने के लिए फटकार लगाई है। इसके अलावा, स्मारक की सुरक्षा में विफल रहने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की भी खिंचाई की है। कोर्ट ने कहा कि वह स्मारक के नुकसान का अध्ययन करने और बहाली के उपाय सुझाने के लिए एक पुरातत्व विशेषज्ञ की नियुक्ति करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कैसे लगाई फटकार?
सुनवाई में DCWA ने कहा कि अगर, वह इस मकबरे का इस्तेमाल नहीं करता तो असामाजिक तत्व इसको नुकसान पहुंचा देते। इस पर जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा, "इस ढांचे में घुसने की आपकी हिम्मत कैसे हुई? आप किस तरह की दलीलें दे रहे हैं? आप उस जगह कब्जा करके बैठे हैं और एयर-कंडीशन्ड ऑफिस में बैठकर अपनी छोटी सी जागीर चला रहे हैं। बड़ी बात है कि आप किराया भी नहीं दे रहे हैं।"
कोर्ट ने ASI की भी खिंचाई की
कोर्ट ने स्मारक पर अवैध कब्जे की अनुमति देने के लिए ASI की भी खिंचाई की। कोर्ट ने कहा, "आप (ASI) किस तरह के अधिकारी हैं? आपका जनादेश क्या है? आप प्राचीन संरचनाओं की रक्षा करने के अपने जनादेश से पीछे हट गए हैं। हम आपकी निष्क्रियता से परेशान हैं।" कोर्ट ने कहा कि वह DCWA को कब्जा कर बनाई संरचना को हटाने का निर्देश देगा। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी, 2025 के लिए निर्धारित की है।
कोर्ट ने कॉलोनी निवासी की याचिका पर की सुनवाई
यह मकबरा 15वीं सदी में लोदी राजवंश काल में बनाया गया था। साल 1960 में DCWA ने इस पर कब्जा कर लिया था और इसमें कार्यालय संचालित किया जा रहा है। डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी ने 2019 में इसको लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर संरचना को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग की थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। उसके बाद सूरी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।