डॉक्टरों को सुरक्षा देने की याचिकाः सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दिया आदेश, अगले महीने होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को सुरक्षा मुहैया कराने का याचिका पर आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इस मामले को गर्मियों की छुट्टियों के बाद उचित बेंच के सामने लिस्ट करने को कहा है। बेंच ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा का मामला गंभीर और विचार के योग्य है, लेकिन इस पर तुरंत सुनवाई की जरूरत नहीं है। आइये, इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कोर्ट ने कहा- समग्रता से देखा जाएगा मामला
मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक गुप्ता और सुर्यकांत की बेंच ने कहा, "हम याचिका आज सुनने को तैयार हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में डॉक्टरों की हड़ताल थी। अब हड़ताल समाप्त हो गई है तो इस मामले की जल्द सुनवाई की आवश्यकता नहीं है। इसे उचित बेंच के सामने लिस्ट किया जाए।" कोर्ट ने कहा कि वह इस मसले को केवल डॉक्टरों के नजरिए से नहीं बल्कि समग्र दृष्टि से मामले को देखेगी।
डॉक्टरों को सुरक्षा देने के खिलाफ नहीं- कोर्ट
कोर्ट ने कहा, "हम नागरिकों की कीमत पर डॉक्टरों को नहीं बचा सकते, हमें बड़ी तस्वीर को देखना होगा। हम डॉक्टरों को सुरक्षा दिए जाने के खिलाफ नहीं हैं।" बता दें इस मामले में IMA ने भी याचिका दायर की थी।
11 जुलाई से हड़ताल पर थे डॉक्टर
पश्चिम बंगाल में एक मरीज की मौत के बाद भीड़ ने दो इंटर्न की पिटाई कर दी थी। इस घटना के बाद राज्य के जूनियर डॉक्टर 11 जुलाई से हड़ताल पर चले गए थे। इसके बाद शुक्रवार को देशभर के डॉक्टरों ने इस हड़ताल में हिस्सा लिया। राज्य सरकार के साथ तनातनी के बाद सोमवार को डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ली थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों को ड्यूटी के दौरान सुरक्षा का भरोसा दिया था।
डॉक्टरों पर हमलों के खिलाफ राष्ट्रीय कानून की मांग
डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने अस्पतालों में हिंसा के खिलाफ एक राष्ट्रीय कानून और दोषियों को 7 साल की सजा की मांग की थी। अस्पतालों को 'सुरक्षित क्षेत्र' घोषित करने और सरकार द्वारा पर्याप्त सुरक्षा प्रदान किए जाने की मांग भी की गई है। IMA के एक अधिकारी ने कहा कि 19 राज्यों में पहले से ही अस्पतालों की सुरक्षा के लिए कानून हैं, इसलिए एक केंद्रीय कानून बेहद आवश्यक है।