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    क्या है कुशीनगर में मदनी मस्जिद गिराने का मामला, जिस पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त?
    उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में मदनी मस्जिद गिराने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

    क्या है कुशीनगर में मदनी मस्जिद गिराने का मामला, जिस पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त?

    लेखन गजेंद्र
    Feb 17, 2025
    07:51 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में मदनी मस्जिद का एक हिस्सा गिराने पर सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ नोटिस जारी किया है।

    न्यायमूर्ति बीआर गवई और एजी मसीह की पीठ ने कोर्ट की अवमानना ​​की कार्यवाही की मांग वाली याचिका पर अधिकारियों को नोटिस भेजा है।

    याचिका में आरोप है कि प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के 13 नवंबर, 2024 के आदेश के बावजूद भी नोटिस दिए बिना तोड़फोड़ की।

    आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?

    मामला

    क्या है मदनी मस्जिद गिराने का मामला?

    कुशीनगर के हाटा स्थित मदनी मस्जिद के खिलाफ 9 फरवरी को बुलडोजर कार्रवाई हुई थी, जिसमें प्रशासन ने कथित तौर पर मस्जिद का 14 फीट का अवैध हिस्सा 7 बुलडोजर लगाकर गिरा दिया।

    प्रशासन ने कहा कि मस्जिद ग्राम समाज और थाने की भूमि पर अवैध अतिक्रमण करके बनाई गई थी। निर्माणाधीन 3 मंजिला मस्जिद का नक्शा भी नगरपालिका परिषद से पास नहीं कराया गया।

    मस्जिद के अवैध निर्माण की शिकायत हिंदूवादी नेता रामबचन सिंह ने मुख्यमंत्री से की थी।

    सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

    सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि मस्जिद याचिकाकर्ताओं के स्वामित्व वाली निजी भूमि पर बनाई गई थी, उस पर निर्माण भी 1999 के स्वीकृति आदेश के अनुसार नगर निगम अधिकारियों की उचित मंजूरी के साथ किया गया था।

    पीठ ने कहा कि हालांकि उक्त मंजूरी को रद्द करने की मांग की गई थी, लेकिन 12 फरवरी, 2006 के हाई कोर्ट के आदेश द्वारा निरस्तीकरण को अलग रखा गया...जिसकी मंजूरी अभी जारी है।

    अवमानना

    SDM की सकारात्मक रिपोर्ट के बाद भी गिराई गई मस्जिद

    पीठ ने कहा, "शिकायत के आधार पर सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) ने मामले की जांच की थी और 22 दिसंबर, 2024 को एक प्रेस नोट भी जारी किया। निरीक्षण के अनुसार, निर्माण स्वीकृत योजना के अनुसार पाया गया। यह भी उल्लेख किया गया है कि जो निर्माण गैर-स्वीकृत पाया गया था, उसे याचिकाकर्ताओं ने खुद ही हटा दिया था।"

    पीठ ने कहा कि परिसरों में तोड़फोड़ सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों की घोर अवमानना ​​है।

    जवाब

    देना होगा 2 सप्ताह में जवाब

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि मस्जिद में तोड़फोड़ को लेकर अभी तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया और यह कोर्ट के 13 नवंबर के फैसले की "घोर" अवमानना ​​है।

    इस पर कोर्ट ने कहा कि पूरे मामले को देखते हुए क्यों न प्रतिवादियों के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की जाए।

    कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब मांगा है। मस्जिद में तोड़फोड़ पर रोक लगाई है।

    जानकारी

    रिपोर्ट देने वाले SDM का हुआ ट्रांसफर

    वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिस SDM ने संरचना स्वीकृत योजना के अनुसार बताते हुए रिपोर्ट दी थी, उनको ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से पहले ही स्थानांतरित कर दिया गया था, जबकि मस्जिद के अनधिकृत हिस्से को याचिकाकर्ताओं ने खुद ही हटा दिया था।

    फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर 2024 को क्या सुनाया था आदेश?

    न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने 13 नवंबर, 2024 को बुलडोजर कार्रवाई पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि कार्यपालिका कोर्ट की भूमिका नहीं निभा सकती और मात्र आरोपों के आधार पर किसी नागरिक के घर को मनमाने ढंग से ध्वस्त करना संवैधानिक कानून और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन है।

    कोर्ट ने दिशानिर्देश भी जारी किया था।

    कोर्ट ने दिशानिर्देश की अवमानना होने पर अधिकारी को अपने वेतन से लागत भुगतान को कहा था।

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