सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक का दिल्ली में निधन
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अंतिम सांस ली। सुलभ इंटरनेशनल के मुख्य कार्यालय में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में 80 वर्षीय पाठक की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। पाठक को देश के कोने-कोने में सार्वजनिक सुलभ शौचालय की स्थापना करने के लिए जाना जाता था।
प्रधानमंत्री मोदी ने पाठक के निधन पर जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टर पाठक के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान को जबरदस्त समर्थन प्रदान किया। इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।'
बिहार के हाजीपुर में हुआ था पाठक का जन्म
डॉक्टर पाठक का जन्म बिहार के हाजीपुर में 2 अप्रैल, 1943 को हुआ था। उन्होंने 1964 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1980 में मास्टर डिग्री और 1985 में पटना विश्वविद्यालय से PhD की उपाधि प्राप्त की। डॉक्टर पाठक ने कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें 'द रोड टू फ्रीडम' सबसे अधिक लोकप्रिय है। वह दुनियाभर में स्वच्छता, स्वास्थ्य और सामाजिक प्रगति पर आयोजित सम्मेलनों में भाग लेते रहते थे।
पाठक ने तैयार किया था सुलभ शौचालय का डिजाइन
पाठक ने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी। पाठक ने गांवों में मैला ढोने वाले लोगों की दयनीय स्थिति देखने के बाद समाज से यह प्रथा खत्म करने का फैसला लिया था। बता दें कि डॉक्टर पाठक ने 2 गड्ढों वाले शौचालय यानी सुलभ शौचालय का डिजाइन भी तैयार किया था और इस तकनीक का प्रयोग गांवों के घरों में करोड़ों शौचालय बनाने के लिए किया जा चुका है।
पाठक को कई पुरस्कारों से किया गया था सम्मानित
डॉक्टर पाठक को स्वच्छता और सामाजिक बदलाव में योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 2017 में लोक प्रशासन, शिक्षा और प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्हें 2016 में गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। पाठक को 1991 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।