
पंजाब के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री मान पर लगाया अपमानित करने का आरोप, दी कार्रवाई की चेतावनी
क्या है खबर?
पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच नई खींचतान सामने आई है।
राज्यपाल पुरोहित ने मान पर जून में पंजाब विधानसभा के सत्र के दौरान उनके लिए अपमानजनक टिप्पणियां करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि यदि मान सदन के बाहर भी उन पर इस तरह के बयान देते हैं तो वह राज्यपाल की छवि पर हमला करने के लिए उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करवाएंगे।
बयान
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में दिया अपमानजनक भाषण- राज्यपाल
पंजाब के राज्यपाल पुरोहित ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार के दौरान कहा, "आपने पंजाब विधानसभा में मान द्वारा दिया गया अपमानजनक भाषण सुना होगा। उन्होंने मेरे खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए 'लेटर लिखता रहता है' कहा। यह ठीक नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि किसी भी मुख्यमंत्री को सदन में कुछ कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती हैं, जिसके चलते वह (मान) इस तरह के बयान दे रहे हैं।
बयान
राज्यपाल बोले- अपमानजनक टिप्पणी करने पर दर्ज हो सकता है मामला
राज्यपाल ने चेतावनी देते हुए आगे कहा, "उन्हें बाहर मेरे खिलाफ ऐसी टिप्पणी करने दीजिए। जिस दिन वह ऐसा करेंगे, मैं अपने कार्यालय को उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124 के तहत मामला दर्ज करने के लिए कहूंगा।"
बता दें कि धारा 124 के तहत किसी वैध शक्ति के प्रयोग कर राष्ट्रपति या राज्यपाल की प्रतिष्ठा पर हमला करने के आरोप में केस दर्ज किया जा सकता है।
बयान
राज्यपाल ने और क्या कहा?
राज्यपाल पुरोहित ने कहा, "राज्यपाल पर दबाव डालने या उन्हें भयभीत करने का प्रयास भी उन्हें (मान को) आपराधिक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी बनाता है। राज्यपाल का कोई अपमान नहीं कर सकता है।"
उन्होंने साक्षात्कार के दौरान आगे कहा, "मुख्यमंत्री मान को अपनी भाषा का ध्यान रखना होगा और वह बिना किसी कारण के मुझे इस तरह अपमानित नहीं कर सकते हैं। राज्यपाल के पास बहुत सारी शक्तियां होती हैं।"
टकराव
AAP सरकार और राज्यपाल के बीच चल रहा है टकराव
पिछले करीब एक साल से पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार और राज्यपाल पुरोहित के बीच कई मुद्दों को लेकर टकराव है।
जून में विशेष विधानसभा सत्र के दौरान एक विधेयक पारित कर राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री को दिया गया था, जिस पर राज्यपाल में आपत्ति जताई थी।
इससे पहले भी राज्यपाल मान पर प्रशासनिक मामलों पर जानकारी मांगने के उनके पत्रों का जवाब नहीं देने का आरोप लगा चुके हैं।