मुंबई: सितंबर में 42 प्रतिशत बढ़े कोरोना के मामले, लेकिन मौतों और गंभीर मामलों में गिरावट
कोरोना वायरस की दूसरी लहर से बाहर निकल रही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सितंबर में एक बार फिर से संक्रमण में वृद्धि देखने को मिली और इस महीने अगस्त के मुकाबले 42 प्रतिशत अधिक नए मामले सामने आए। हालांकि इस दौरान मौतों में कमी देखने को मिली, वहीं गंभीर और अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या में भी कमी आई। इस कारण डॉक्टर्स ने इसे बहुत अधिक चिंता का विषय नहीं माना है।
सितंबर में मुंबई में सामने आए लगभग 13,000 नए मामले
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में मुंबई में कोरोना वायरस के 12,994 नए मामले सामने आए जो अगस्त में 9,166 के मुकाबले लगभग 42 प्रतिशत अधिक रहे। सितंबर का कुल आंकड़ा जुलाई के बराबर रहा जिसमें मुंबई में कुल 12,557 नए मामले सामने आए थे। मौतों की बात करें तो सितंबर में मुंबई में कोरोना संक्रमण से 133 मौतें हुईं, जबकि अगस्त में ये आंकड़ा 157 था।
गंभीर और ICU मरीजों की संख्या में आई कमी
मुंबई में सितंबर में मामले भले ही बढ़े हों, लेकिन गंभीर मरीजों की संख्या में कमी आई है। 1 सितंबर को शहर में 413 गंभीर मरीज थे, वहीं 29 सितंबर को ये आंकड़ा 273 हो गया। ICU मरीज भी 602 से घटकर 495 रह गए।
BMC ने कहा- पाबंदियों में छूट के कारण बढ़े मामले
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने सितंबर में मामलों में आए उछाल के लिए यात्रा और मनोरंजन से संबंधित पाबंदियों में दी गई छूट को जिम्मेदार ठहराया है। BMC के कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मंगला गोमारे ने कहा, "15 अगस्त से ही वैक्सीनेटेड लोगों के लिए ट्रेनें चल गईं, रेस्टोरेंट्स खुल गए और गणपति उत्सव के कारण मिलना-जुलना बढ़ गया।" वहीं एक सरकारी डॉक्टर ने कहा कि मामले भले ही बढ़े हो, लेकिन इनमें इतना उछाल नहीं आया जितना डर था।
पूरे महाराष्ट्र में आठ महीने में सबसे कम मासिक मामले
पूरे महाराष्ट्र की बात करें तो पूरे राज्य में सितंबर में मासिक मामलों की संख्या में 33 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। कोविड-19 राज्य टास्क फोर्स के सदस्य डॉ शशांक जोशी के अनुसार, सितंबर में राज्य में पिछले आठ महीने में सबसे कम नए मामले सामने आए। मौतों की भी यही स्थिति रही और ये अगस्त में 2,809 से गिरकर सितंबर में 1,754 पर आ गईं जो फरवरी के बाद सबसे कम हैं।
मामलों को कम रखने में वैक्सीनेशन की अहम भूमिका- डॉ जोशी
इसे दूसरी लहर के कमजोर होने का संकेत बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि गणपति उत्सव के कारण मिलन-जुलन बढ़ने के बावजूद राज्य में कोरोना के मामले बढ़े नहीं है। डॉ जोशी ने कहा, "मामलों को कम रखने में वैक्सीनेशन ने एक अहम भूमिका अदा की है। लेकिन लोगों को सावधानी खत्म नहीं करनी चाहिए और मास्क पहनना जारी रखना चाहिए।" उन्होंने कहा कि अगर तीसरी लहर आई भी तो दिसंबर या जनवरी तक नहीं आएगी।