पुलिस के लिए देशभर में फेशियल रिकगनेशन सिस्टम लगाने की तैयारी कर रही सरकार
क्या है खबर?
जासूसी और दुरुपयोग की तमाम आशंकाओं के बीच केंद्र सरकार भारत में दुनिया का सबसे बड़ा फेशियल रिकगनेशन (चेहरे से पहचान) सिस्टम लगाने जा रही है।
इसे पुलिस की मदद के लिए तैयार किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर यह सही ढंग से लागू हुआ तो पुलिस को अपराध रोकने में मदद मिलेगी।
स्टाफ की कमी से जूझ रही पुलिस के लिए यह बड़ा कदम है, लेकिन इससे निजता में भी खलल पड़ सकती है।
योजना
अगले महीने निविदाएं आमंत्रित करेगी सरकार
सरकार इस सिस्टम के लिए अगले महीने निविदाएं आमंत्रित करेंगी।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कोई भी भारतीय कंपनी इसमें हिस्सा नहीं ले सकेगी क्योंकि वो इसके लिए तय US नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा तय मानकों पर खरा नहीं उतर पा रही है।
सरकार देशभर में लगे फेशियल रिकगनेशन कैमरा द्वारा कैप्चर किए गए डाटा को सेंट्रलाइज करने की योजना बना रही है।
इस डाटाबेस में पासपोर्ट से लेकर फिंगरप्रिंट तक की जानकारी होगी।
कारोबार
पांच सालों में छह गुना बढ़ेगा फेशियल रिकगनेशन मार्केट का कारोबार
सरकार का कहना है कि स्टाफ की कमी से जूझ रही पुलिस के लिए बड़ी मदद साबित होगा।
बता दें, भारत में 724 नागरिक पर एक पुलिसकर्मी है, जो वैश्विक मानकों से कम है।
साथ ही सरकार के इस कदम से ऐसे कैमरे बनाने वाली कंपनियों को भी फायदा होगा। एक अनुमान है कि अगले पांच सालों में भारत में फेशियल रिकगनेशन इंडस्ट्री छह गुना बढ़कर 4.3 बिलियन डॉलर पर पहुंच जाएगी। यह चीन की इंडस्ट्री के लगभग बराबर होगी।
सवाल
डाटा प्रोटेक्शन को लेकर उठ रहे सवाल
अभी तक भारत इस सिस्टम को लागू करने में चीन से बहुत पीछे है।
इस बात की भी चिंता जताई जा रही है कि इस सिस्टम से कैप्चर किए गए डाटा की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किये जाएंगे।
प्रस्तावित डाटा प्रोटेक्शन बिल को पिछले साल से कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली है और ना ही इसे संसद में पेश किया गया है।
कई जानकारों का मानना है कि भारत इस सिस्टम के लिए अभी तैयार नहीं है।