मणिपुर: राज्यपाल से मुलाकात के बाद कट्टरपंथी मैतेई संगठन अरम्बाई तेंग्गोल ने हथियार जमा किए
क्या है खबर?
मणिपुर में पिछले डेढ़ साल से जारी जातीय हिंसा के बीच राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की अपील काम आई और अधिकतर उग्रवादी समूहों ने अपने हथियार जमा कर दिए हैं।
गुरुवार को राज्यपाल भल्ला की चेतावनी की समयसीमा (7 दिन) खत्म होने से पहले कट्टरपंथी मैतेई संगठन अरम्बाई तेंग्गोल ने भी अपने हथियार और गोला-बारूद पुलिस को सौंप दिए।
संगठन ने अपने हथियार सौंपने से पहले 25 फरवरी को राज्यपाल से मुलाकात की थी और शर्तें रखी थीं।
शर्त
संगठन ने क्या रखी थी शर्तें?
मणिपुर में कोरौंगनबा खुमान और रॉबिन मंगांग के नेतृत्व में अरम्बाई तेंग्गोल ने राज्यपाल भल्ला से मुलाकात कर अपनी शर्तें रखी थीं।
बैठक के बाद मंगांग ने मीडिया से कहा था कि उनकी मुलाकात सकारात्मक थी, अगर उनकी शर्तें पूरी होती हैं, तो वे हथियार छोड़ देंगे, वरना आगे देखा जाएगा।
उनकी कई मांगों में एक मांग थी कि कोई भी आयोग, न्यायाधिकरण और कोर्ट द्वारा अरम्बाई तेंग्गोल सहित गांव के स्वयंसेवक और सशस्त्र नागरिकों पर कोई कार्रवाई न हो।
ट्विटर पोस्ट
हथियार जमा करने जाते संगठन के लोग
#WATCH | Imphal | The members of 'Arambai Tengol'- a Meitei organisation, today surrendered their arms following their meeting with Manipur Governor Ajay Kumar Bhalla on Feb 25 pic.twitter.com/GUboHG3lui
— ANI (@ANI) February 27, 2025
चेतावनी
लगातार जमा हो रहे थे हथियार
राज्यपाल भल्ला ने 20 फरवरी को एक आदेश जारी कर सभी समुदायों को अल्टीमेटम दिया था कि वे लूटे गए और अवैध रूप से रखे हथियारों को 7 दिनों के भीतर पुलिस को सौंप दें।
उन्होंने कहा था कि अगर अल्टीमेटम का पालन कर हथियारों को वापस कर दिया जाता है, तो उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।
इसके बाद से लगातार संगठन और व्यक्तिगत तौर पर लोग अपने हथियार और गोला-बारूद जमा करा रहे थे।
हिंसा
मई 2023 से जारी है हिंसा
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच मई, 2023 से हिंसा जारी है, जो हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद भड़क उठी थी।
इस हिंसा के दौरान अलग-अलग घटनाओं में 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, 1,500 से ज्यादा जख्मी हुए हैं और करीब 60,000 को घर छोड़ना पड़ा है।
अब तक 500 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हिंसा से चुराचांदपुर, बिष्णुपुर, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हिंसा रुक-रुककर जारी है।