क्या होगी शिंकुन ला सुरंग की खासियत, जिसके निर्माण कार्य का प्रधानमंत्री मोदी ने किया उद्घाटन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (26 जुलाई) को 'करगिल विजय दिवस' की 25वीं वर्षगांठ पर लद्दाख में सुबह करगिल युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उसके बाद आभासी रूप से लद्दाख में शिंकुन ला सुरंग परियोजना में पहला विस्फोट कर उसके निर्माण कार्य की शुरुआत की। इस सुरंग का निर्माण नीमू-पदुम-दारचा मार्ग पर किया जा रहा है और यह हर मौसम में लेह को संपर्क प्रदान करेगी। आइए इस सुरंग की प्रमुख खासियत जानते हैं।
शिंकुन ला होगी दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग
शिंकुन ला सुरंग परियोजना एक 4.1 किलोमीटर लंबी दोहरी ट्यूब आधारित सुरंग होगी। इसका निर्माण लेह को सभी मौसम में देश के बाकी हिस्से से जोड़े रखने के लिए निमू-पदुम-दारचा रोड पर 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा। इसका निर्माण पूरा होने के बाद यह दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी सुरंग होगी, जो चीन की 15,590 फीट की ऊंचाई पर बनी सुरंग को पीछे छोड़ देगी। इस सुरंग के 4 साल में बनकर तैयार होने की उम्मीद है।
1,681 करोड़ रुपये की लागत से होगा सुरंग का निर्माण
रिपोर्ट के अनुसार, इस सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा की जाएगा और इस पर 1,681 करोड़ रुपये की लागत आने की संभावना है। इस सुरंग के निर्माण को पिछले साल फरवरी में प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सुरक्षा मामलों की केंद्रीय समिति ने मंजूरी दी थी। यह सुरंग मनाली और लेह की बीच की दूरी को 60 किलोमीटर कम कर देगी, जिससे यह दूरी 355 किलोमीटर से कम होकर 295 किलोमीटर रह जाएगी।
तोप और मिसाइल रोधी होगी यह सुरंग
सुरंग की विशेषताओं में सुपरवाइजरी कंट्रोल और डाटा अधिग्रहण प्रणाली (SCADA), मैकेनिकल वेंटिलेशन, फायर ब्रिगेड और कम्युनिकेशन सिस्टम शामिल हैं। इसके अलावा यह तोप और मिसाइल रोधी भी होगी, जिसका मतलब है कि दुश्मन इसे मिसाइल और तोप के हमलों से भी क्षतिग्रस्त नहीं कर पाएगा। प्रधानमंत्री कार्यायल (PMO) ने कहा है कि यह परियोजना लद्दाख में सभी मौसमों में वैकल्पिक संपर्क और सैन्य आवाजाही के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसमें हर 500 मीटर पर क्रॉस रोड़ होगा।
मनाली-लेह और श्रीनगर-लेह मार्ग का विकल्प होगी सुरंग
PMO के अनुसार, यह सुरंग मनाली-लेह और पारंपरिक श्रीनगर-लेह मार्ग के विकल्प के रूप में भी काम करेगी। नीमू-पदुम-दारचा सड़क मार्ग रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। यह सुरंग न केवल देश के सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी, बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी। यह सुरंग हिमाचल प्रदेश में लाहौल घाटी को लद्दाख में जांस्कर घाटी से जोड़ने वाली कड़ी के रूप में काम करेगी।
सड़क पर हासिल होगा ज्यादा जुड़ाव
विशेष रूप से, लेह के लिए दो मौजूदा धुरी हैं, पहली श्रीनगर-जोजिला-कारगिल-लेह और दूसरी मनाली-अटल सुरंग-सरचू-लेह है। इनमें उच्च ऊंचाई वाले दर्रे हैं, जो साल में 4-5 महीनों तक बर्फ से ढके रहते हैं। अटल सुरंग के पूरा होने से मनाली-दारचा मार्ग अब पूरे साल चालू रहता है। इस बीच BRO ने लद्दाख से हर मौसम में जुड़ाव बनाए रखने के बीच बची एकमात्र बाधा को दूर करने के लिए शिंकुन ला सुरंग परियोजना पर काम शुरू कर दिया है।
सीमा की सुरक्षा के लिए अहम होगी शिंकुन ला सुरंग
कठिन मौसम और स्थलाकृति के बावजूद चीन के साथ उत्तरी सीमाओं पर सुरंग निर्माण अभी भी पूर्वी लद्दाख में चल रहे सैन्य टकराव के मद्देनजर एक प्रमुख प्राथमिकता है। इससे पहले BRO ने अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारिद्वार-तवांग मार्ग पर 13,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर सेला सुरंग का निर्माण किया था। ऐसे में शिकुल ला सुरंग भी सीमा सुरक्षा के लिए काफी अहम है। इन सुरंगों से गोला-बारूद, मिसाइल, ईंधन और अन्य आपूर्ति आसान हो जाएगी।