हिमाचल: चरम सीमा पर पहुंची बंदरों की संख्या, अब एक बंदर मारने पर मिलेंगे 1,000 रुपये
क्या है खबर?
अगर आपको हॉलीवुड फिल्में देखना पसंद होगा तो आपने 'प्लैनेट ऑफ द ऐप्स' ज़रूर देखी होगी। उसमें इंसानों और बंदरों के संघर्ष के बारे में दिखाया गया है।
ठीक ऐसे ही हालात इस समय हिमाचल प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं। हिमाचल में मनुष्य और बंदरों का संघर्ष चरम पर पहुँच गया है।
इस वजह से बंदरों को विनाशक घोषित कर दिया गया है और एक बंदर मारने वाले को 1,000 रुपये इनाम की भी घोषणा की गई है।
बंदरों का आतंक
ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ा है बंदरों का आतंक
कभी भारत में गर्मियों की राजधानी रही और अब दुनिया के प्रसिद्ध हिल स्टेशन के रूप में प्रसिद्ध शिमला में बंदरों का आतंक इस क़दर बढ़ गया है कि लोगों का जीना मुश्किल हो गया है।
बंदरों का आतंक हिमाचल के ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ा है, जिससे किसानों की आजीविका के लिए भी कठिनाइयाँ पैदा हो रही हैं।
हिमाचल में मंकी बाइट्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन अब तक समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है।
हमला
पीछा करके लोगों पर करते हैं हमला
बंदर अक्सर लोगों पर हमला करते हैं, ख़ासतौर से स्कूल जानें वाले बच्चों पर। महिलाओं पर घात लगाकर हमला करते हैं और उनके बैग, सामान और चश्मा छिन लेते हैं।
साथ ही पीछा करके पुरुषों को काटते हैं और पार्किंग में रखी गाड़ियों की खिड़कियों और विंडो-स्क्रीन को तोड़ देते हैं।
केवल यही नहीं बंदर दफ़्तरों में घुसकर फ़ाइलें, रिकॉर्ड आदि भी नष्ट कर देते हैं। बंदरों का यह बढ़ता आतंक सरकार की बड़ी परेशानी बना हुआ है।
घोषणा
बंदरों को मारने वाली राशि 700 से 1,000 रुपये करने का फ़ैसला
जानकारी के लिए बता दें कि शिमला में बंदरों और मनुष्यों का यह संघर्ष बहुत पुराना है।
जब से शिमला में शहर का दायरा बढ़ने लगा है, तब से इंसानों पर बंदरों के हमले भी बढ़ने लगे हैं।
बंदरों की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए सरकार ने बंदरों को मारने पर दी जानें वाली राशि को 700 रुपये से 1,000 रुपये बढ़ाने का फ़ैसला किया है, जिसकी घोषणा जल्द होगी। वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने इसकी पुष्टि की।
हल
बंदरों को विनाशक घोषित किया गया
ठाकुर ने कहा कि लोग धार्मिक भावनाओं के कारण बंदरों को नहीं मार रहे हैं। प्रदेश में 91 तहसील और सब-तहसील में बंदरों को विनाशक घोषित कर दिया गया है।
वहीं, इस मामले में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि जल्द ही सरकार इस समस्या का हल खोजने के लिए अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक करेगी।
बता दें कि हिंदू धर्म में बंदरों को हनुमान जी का रूप माना जाता है, इसलिए लोग उन्हें मारना नहीं चाहते हैं।
व्यवहार
शिमला के बंदर हिमाचल के अन्य बंदरों से ज़्यादा हिंसक
वन विभाग ने बंदरों के आतंक को देखते हुए उनके व्यवहार पर शोध करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि स्टरलाइज़ेशन के बाद बंदर हिंसक हो रहे हैं।
शिमला के बंदर, हिमाचल के बाक़ी बंदरों से ज़्यादा हिंसक हैं।
शिमला के डस्टबीन की गंदगी भी बंदरों को इंसानों पर हमले का कारण बन रही है, क्योंकि बंदर डस्टबीन के पास खाने के लिए जाते हैं, लेकिन जब कोई उनके पास से गुज़रता है, तो बंदर उस पर हमला कर देते हैं।
जानकारी
शिमला के कुछ क्षेत्रों से हटाई जाएगी डस्टबीन
यह देखते हुए वन विभाग ने यह फ़ैसला किया है कि नगर निगम से बात करके शिमला के कुछ क्षेत्रों से डस्टबीन भी हटाई जाएगी। इसके बाद देखा जाएगा कि बंदरों के हमले की समस्या कुछ कम होती है या नहीं।
मामले
पिछले पाँच सालों में बढ़े हैं बंदरों के काटने के मामले
बता दें कि शिमला में पाँच साल में मंकी बाइट्स के मामले लगातार बढ़े हैं। पाँच सालों में मंकी बाइट्स के 2,813 मामले सामने आ चुके हैं।
2015, 2016, 2017 और 2018 की तुलना में जून 2019 में 141 मामले दर्ज किए गए, जो कि अब तक किसी एक महीने में रिपोर्ट की गई सबसे अधिक संख्या है।
सबसे कम मामले दिसंबर, 2015 में 13, नवंबर, 2017 में 15 और जनवरी, 2019 में 21 दर्ज किए गए थे।