टेस्टिंग के लिए डाले गए वोट हटाना भूले चुनाव अधिकारी, असली वोट कर दिए डिलीट
क्या है खबर?
हिमाचल प्रदेश में 20 चुनाव अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
चुनाव आयोग पांच अलग-अलग पोलिंग बूथों पर तैनात इन 20 अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है।
दरसअल, इन अधिकारियों ने मतदान से पहले मॉक टेस्ट के दौरान EVM में डाले गए वोटों को डिलीट नहीं किया था, जिससे ये वोट असल मतदान की संख्या में शामिल हो गए।
आइये, जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और इसमें क्या कार्रवाई हो सकती है।
मामला
क्या है पूरा मामला
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, मतदान शुरू होने से एक घंटे पहले पोलिंग एजेंट की मौजूदगी में EVM का मॉक टेस्ट किया जाता है।
इस दौरान यह देखने के लिए कि EVM ठीक से काम कर रही है या नहीं, कम से कम 50 वोट डाले जाते हैं।
इन वोटों का नतीजा पोलिंग एजेटों को दिखाया जाता है। मतदान शुरू होने से पहले ये वोट डिलीट कर दिए जाते हैं ताकि ये असली वोटों में शामिल न हो पाएं।
गड़बड़
कहां हुई गड़बड़?
हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी देवेश कुमार ने बताया कि रविवार को सातवें चरण के तहत हुए मतदान में ये अधिकारी इन टेस्ट वोट को डिलीट करना भूल गए, जिस वजह से ये वोट मतदान के दौरान डाले गए वोट में शामिल हो गए।
जब इन अधिकारियों को अपनी भूल का पता चला तो उन्होंने कुछ वोट डिलीट करने की कोशिश की, लेकिन यह गड़बड़ ऑब्जर्वर की निगाह में आ गई।
कार्रवाई
जिम्मेदार अधिकारियों पर हो सकती है यह कार्रवाई
देवेश कुमार ने बताया कि ये गडबड़ मंडी लोकसभा के चौक, सालवाहन और हरवाहनी, शिमला लोकसभा के कश्मीरपुर और हमीरपुर लोकसभा के भागेर बूथ पर सामने आई हैं।
उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित किया जा सकता है।
बता दें हिमाचल प्रदेश में कुल चार लोकसभा सीटें हैं, जिनके लिए 19 मई को वोट डाले गए थे।
ओपिनियन पोल में ये चारों सीटें भाजपा के खाते में जाती दिख रही है।