सरकार ने रोकी औद्योगिक ऑक्सीजन की सप्लाई, कोरोना मरीजों के इलाज के लिए होगा इस्तेमाल
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण आई ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने उद्योगों की ऑक्सीजन सप्लाई रोक दी है और अब औद्योगिक ऑक्सीजन का मेडिकल कार्यों के लिए उपयोग किया जाएगा। केंद्र सरकार ने राज्यों को पत्र लिखते हुए यह सूचना दी है। नौ उद्योगों को इस प्रतिबंध से छूट दी गई है जिनमें फार्मास्युटिकल, पेट्रोलियम रिफाइनरी, स्टील प्लांट, न्यूक्लियर एनर्जी, ऑक्सीजन सिलेंडर उत्पादक और भोजन और जल शोधन उद्योग शामिल हैं।
ऑक्सीजन की कमी की पूर्ति के लिए ये कदम भी उठा चुकी है सरकार
बता दें कि ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार पहले भी कई कदम उठा चुकी है। हाल ही में अपनी एक बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50,000 मैट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन निर्यात करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा PM केयर्स फंड से दूरदराज के 100 अस्पतालों में ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले प्रेशर स्विंग अब्जॉर्प्शन (PSA) प्लांट लगाने का फैसला भी लिया गया है, वहीं अन्य 162 PSA प्लांट्स लगभग शुरू होने को हैं।
ऑक्सीजन के तेज ट्रांसपोर्टेशन के लिए चलाई जाएंगी स्पेशल ट्रेनें
सरकार ने महाराष्ट्र और दिल्ली समेत ऐसे 12 राज्यों की पहचान भी की है जहां ऑक्सीजन की सबसे अधिक मांग है और सरप्लस ऑक्सीजन वाले राज्यों से यहां तीन खेपों में 17,000 टन ऑक्सीजन भेजी जाएगी। ट्रांसपोर्टेशन में तेजी लाने के लिए रेलवे देशभर में 'ऑक्सीजन एक्सप्रेस' ट्रेनें चलाएगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि स्पेशल ग्रीन कॉरिोडर बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन ट्रेनों से महाराष्ट्र को सबसे अधिक 1,500 मैट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंचाई जाएगी।
किन राज्यों में है ऑक्सीजन की सबसे अधिक कमी?
कोरोना वायरस के मामलों में रिकॉर्ड वृद्धि के कारण महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं। महाराष्ट्र में रोजाना 1,250 मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन होता है और अभी इस पूरी ऑक्सीजन का उपयोग हो रहा है। इसके अलावा राज्य छत्तीसगढ़ और गुजरात से भी 50-50 टन ऑक्सीजन मंगा रहा है। मध्य प्रदेश का भी खुद का कोई ऑक्सीजन प्लांट नहीं है और वह पूरी तरह से दूसरे राज्यों पर निर्भर है।
दिल्ली में भी ऑक्सीजन की बहुत कमी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी शहर में ऑक्सीजन की बेहद कमी होने की बात कही है। कल शाम ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, "दिल्ली में ऑक्सीजन की बहुत कमी है। तेजी से बढ़ते मामलों के देखते हुए दिल्ली को सामान्य सप्लाई से ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत है। लेकिन सप्लाई बढ़ाने की बजाय इसे कम कर दिया गया है और दिल्ली का कोटा बाकी राज्यों को भेज दिया गया है। दिल्ली में ऑक्सीजन की इमरजेंसी है।"
खपत से ज्यादा है भारत का ऑक्सीजन उत्पादन, इस कारण आ रही समस्या
बता दें कि भारत में ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली करीब 500 फैक्ट्रियां हैं जो प्रतिदिन 7,127 मैट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन बना सकती हैं। अभी देश में रोजाना 3,843 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत है जो कुल उत्पादन की 54 प्रतिशत है। इसका मतलब कोरोना मरीजों के लिए जितनी ऑक्सीजन की जरूरत है, देश में उससे अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। हालांकि विशेष टैंकरों और सिलेंडरों की कमी के कारण इसके तेज ट्रांसपोर्टेशन नहीं हो पा रहा है।