जल्द ही 'गेम-चेंजिंग' एंटी-कोविड दवा को मंजूरी दे सकता है भारत
क्या है खबर?
भारत आने वाले कुछ दिनों में अमेरिकी कंपनी मर्क की गेम-चेंजिंग एंटी-कोविड दवा 'मोलनुपिरावीर' को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे सकता है।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के कोविड रणनीतिक समूह के चेयरमैन डॉ राम विश्वकर्मा ने बुधवार को ये जानकारी दी।
ये दवा मेड-इन-इंडिया होगी और इसके लिए मर्क पांच कंपनियों के साथ समझौता भी कर चुकी है। भारत में इसकी कीमत अमेरिका के मुकाबले कम रह सकती है।
पृष्ठभूमि
कोविड से मौत के खतरे को आधा कर देती है मोलनुपिरावीर
ओरल ली जाने वाली 'मोलनुपिरावीर' को ट्रायल में कोरोना से मौत और अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 50 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है।
इसका मतलब ये दवा कोरोना संक्रमितों के मरने या अस्पताल में भर्ती होने की आशंका को लगभग आधा कर देती है। विशेषज्ञों ने इसे गेम-चेंजिंग दवा बताया है।
कंपनी ने कहा कि अभी तक के ट्रायल और वायरस सीक्वेंसिंग में मोलनुपिरावीर को कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी पाया गया है।
बयान
जल्द ही भारतीयों के लिए उपलब्ध होगी मोलनुपिरावीर- डॉ विश्वकर्मा
ट्रायल के नतीजे आने के बाद से ही विभिन्न देश मोलनुपिरावीर खरीदने की कोशिश में लगे हुए हैं और भारत भी इस कड़ी में पीछे नहीं रहना चाहता है।
डॉ विश्वकर्मा ने NDTV के साथ इंटरव्यू में कहा, "मुझे लगता है कि मोलनुपिरावीर जल्द ही हमारे लिए उपलब्ध होगी। पांच कंपनियां दवा निर्माता के साथ समझौता कर चुकी हैं... मुझे लगता है कि किसी भी दिन मोलनुपिरावीर को मंजूरी मिल जाएगी।"
डाटा का विश्लेषण
डॉ विश्वकर्मा बोले- भारतीय रेगुलेटर्स के पास पहले से ही मौजूद है डाटा
डॉ विश्वकर्मा ने कहा कि यूनाइटेड किंगडम (UK) के रेगुलेटर्स के दवा को मंजूरी देने के पहले से ही भारतीय रेगुलेटर्स के पास मोलनुपिरावीर का डाटा मौजूद है और विशेषज्ञ समूह पहले से ही इसका विश्लेषण कर रहा है।
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अब वे तेजी लाएंगे। इसलिए ये कहना सुरक्षित होगा कि अगले एक महीने में मर्क को मंजूरी दिए जाने पर फैसला लिया जा सकता है।"
कीमत
भारत में इतनी रह सकती है मोलनुपिरावीर की कीमत
मोलनुपिरावीर की कीमत के बारे में डॉ विश्वकर्मा ने कहा कि ये 700 डॉलर से कम होगी जिस पर अमेरिका में विचार किया जा रहा है क्योंकि अमेरिका में ये अन्य कुछ कारणों से महंगी है।
उन्होंने कहा कि शुरूआत में भारत में दवा की कीमत एक बार के इलाज के लिए 2,000-3,000 रुपये हो सकती है और धीरे-धीरे ये गिरकर 500-600 या 1,000 रुपये पर आ जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार बड़ी मात्रा में खुराकें खरीद सकती है।
उम्मीद
ओरल एंटी-वायरल दवाएं कोरोना वायरस के ताबूत में अंतिम कील- डॉ विश्वकर्मा
अपने इंटरव्यू में डॉ विश्वकर्मा ने मर्क की मोलनुपिरावीर और फाइजर की 'पैक्सलोविड' जैसी ओरल एंटी-कोविड दवाओं को कोरोना वायरस के ताबूत में विज्ञान की अंतिम कील बताया।
उन्होंने कहा, "जब हम वैश्विक महामारी से स्थानीय महामारी की तरफ बढ़ेंगे तो ये दो दवाएं बड़ा अंतर पैदा करेंगी। ये दवाएं वैक्सीनेशन से भी ज्यादा अहम होने जा रही हैं।"
बता दें कि फाइजर की पैक्सलोविड को कोविड से मौत को रोकने में 89 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है।