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    22 साल बाद ऐसे गिरफ्तार हुआ गैंगरेप का आरोपी, मामले में गई थी मुख्यमंत्री की कुर्सी

    22 साल बाद ऐसे गिरफ्तार हुआ गैंगरेप का आरोपी, मामले में गई थी मुख्यमंत्री की कुर्सी

    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 26, 2021
    01:57 pm

    क्या है खबर?

    हाल ही में ओडिशा पुलिस ने 1999 में हुए गैंगरेप के एक आरोपी को गिरफ्तार किया था।

    लगभग 22 साल तक यह आरोपी सबकी आंखों में धूल झोंकते हुए अपनी जिंदगी जी रहा था।

    पीड़िता ने यह आस छोड़ दी थी कि उसके साथ रेप का कथित मास्टरमाइंड कभी पुलिस के हत्थे चढ़ पाएगा और उसे पूरा न्याय मिल सकेगा।

    इसी बीच ओडिशा पुलिस ने दो दशक बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन ये गिरफ्तारी हुई कैसे?

    जानकारी

    कई सालों से पुणेे में रह रहा था आरोपी

    BBC से बात करते हुए ओडिशा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी सुधांशु सारंगी ने बताया कि आरोपी विवेकानंद बिस्वाल महाराष्ट्र के पुणे जिले में रह रहे थे। आरोपी ने जब पुलिस टीम को अपने घर की तरफ आते देखा तो भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी से उसकी यह कोशिश सफल नहीं हो सकी।

    उसने पुलिसकर्मियों को कहा कि वो उसे वहां से ले चलें और वह सब बताने को तैयार है।

    घटना

    क्या है मामला?

    पीड़िता अपने एक दोस्त और ड्राइवर के साथ कार में सवार होकर भुवनेश्वर से कटक जा रही थी।

    रास्ते में बाइक सवार तीन लोगों ने उनकी गाड़ी रुकवा ली। इसके बाद तीनों बंदूक की नोक पर गाड़ी को सुनसान जगह ले गए। यहां पर पीड़िता के साथ कई घंटों तक हैवानियत की गई।

    इन लोगों ने पीड़िता और उसके दोस्त की पिटाई की और सारा कीमती सामान छीन लिया।

    इस घटना के बाद ओडिशा में खूब हंगामा हुआ था।

    सजा

    गैंगरेप के दो दोषियों को उम्रकैद की सजा

    बिस्वाल 9 जनवरी, 1999 को भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी की पत्नी के साथ हुए गैंगरेप के आरोपियों में शामिल हैं। हालांकि, बिस्वाल ने अपने खिलाफ लगे आरोपों का खंडन किया है।

    इस घटना के दो अन्य आरोपी प्रदीप कुमार साहू और धीरेंद्र मोहंती गिरफ्तार होकर दोषी करार दिए जा चुके हैं। दोनों की उम्रकैद की सजा हुई थी।

    साहू की पिछले साल जेल में मौत हो गई थी। वहीं बिस्वाल अब तक गिरफ्तारी से दूर थे।

    आरोप

    तत्कालीन मुख्यमंत्री समेत कई लोगों पर लगे थे आरोप

    पीड़िता ने इस घटना के बाद ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेबी पटनायक समेत कई बड़े लोगों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

    पीड़िता का आरोप था कि पटनायक उस अधिकारी को बचाने की कोशिश कर रहे थे, जिसके खिलाफ उसने रेप की कोशिश करने की शिकायत दी थी।

    पीड़िता का कहना था कि दोनों की उसके साथ हुए गैंगरेप में कुछ 'भूमिका' थी क्योंकि वो उसे डराकर अधिकारी के खिलाफ लगे आरोप वापस करवाना चाहते थे।

    इस्तीफा

    पटनायक को छोड़नी पड़ी थी कुर्सी

    इन आरोपों की प्रतिक्रिया देते हुए पटनायक ने इन्हें 'राजनीतिक साजिश' करार दिया था। घटना के लगभग एक महीने बाद पटनायक ने इस्तीफा दे दिया था।

    लगभग एक साल बाद उस अधिकारी को रेप की कोशिश का दोषी पाया गया और तीन साल की सजा हुई।

    बाद में इस मामले की जांच CBI को सौंपी गई, लेकिन अदालती आदेशों में मामले का मास्टरमाइंड बताए गए बिस्वाल का कहीं पता नहीं चला। धीरे-धीरे यह जांच ठंडे बस्ते में चली गई।

    गिरफ्तारी

    अब आरोपी की गिरफ्तारी कैसे हुई?

    पिछले साल नवंबर में भुवनेश्वर और कटक के पुलिस कमिश्नर सुधांशु सारंगी जेल के दौरे पर गए थे। यहां उन्हें इस गैंगरेप के दोषी मोहंती से मिलने का मौका मिला।

    उन्होंने बताया कि मोहंती से बात करते हुए उन्हें पता चला कि इस मामले का एक आरोपी अभी तक पकड़ा नहीं गया है। अगले ही दिन उन्होंने इस मामले से जुड़ी फाइलें दोबारा खोलीं। इन्हें पढ़ने के बाद उन्हें लगा कि आरोपी का पकड़ा जाना जरूरी है।

    अभियान

    तीन महीने की मेहनत के बाद आरोपी तक पहुंची पुलिस

    इसके बाद उन्होंने आरोपी को पकड़ने के लिए 'साइलेंट वाइपर' नाम से अभियान शुरू किया और चार सदस्यों की टीम गठित की।

    19 फरवरी को सारंगी को आरोपी के ठिकाने का पता चल गया था और उन्होंने अपनी टीम को पुणे रवाना कर दिया।

    अगले दिन ओडिशा और महाराष्ट्र पुलिस की संयुक्त छापेमारी में आरोपी हत्थे चढ़ गया।

    सारंगी ने बताया कि लगभग तीन महीने की मेहनत के बाद पुलिस आरोपी का पता लगा पाई थी।

    गिरफ्तारी

    पुलिस ने आरोपी का पता कैसे लगाया?

    उन्होंने बताया कि आरोपी अपने परिवार, पत्नी और बच्चों के संपर्क में था। उसका परिवार उसके नाम पर रजिस्टर्ड जमीन बेचने की कोशिश कर रहा था।

    इसके बाद पुलिस ने परिवार पर नजर रखना शुरू कर दिया। पुलिस ने पाया कि आरोपी के परिवार के पास आय का कोई साधन नहीं है फिर भी उनके खाते में नियमित रूप से पैसा आ रहा है। यह पैसा पुणे से जालंधर स्वैन नामक व्यक्ति भेज रहा था।

    आगे क्या?

    पुलिस ने CBI को सौंपा, अब होगी पूछताछ

    पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि बिस्वाल अपना नाम बदलकर जालंधर स्वैन नाम के साथ पुणे की एंबी वैली में रह रहा था।

    उसने अपने सभी दस्तावेजों में अपना और पिता का नाम बदल लिया था। वह 2007 से पुणे की एंबी वैली में प्लबंर का काम कर रहा था।

    पुलिस ने परिवार और दूसरे स्त्रोतों से पहचान की मदद से उसे गिरफ्तार कर CBI को सौंप दिया है। अब CBI उससे पूछताछ करेगी।

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