केरल में प्रेमी की हत्या के आरोप में प्रेमिका को मिली फांसी की सजा
क्या है खबर?
केरल की एक अदालत ने सोमवार को एक 24 वर्षीय महिला को अपने प्रेमी की हत्या करने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है।
इसी तरह मामले में सहयोगी उसके चाचा को 3 साल जेल की सजा सुनाई है। यह घटना 2022 की है जब आरोपी ग्रीष्मा नाम की महिला ने अपने 23 वर्षीय प्रेमी शेरोन राज की जूस में जहर पिलाकर हत्या कर दी थी।
कोर्ट ने ग्रीष्मा की सजा में रियायत की मांग को भी ठुकरा दिया।
प्रकरण
क्या है हत्या का मामला?
पुलिस ने बताया कि ग्रीष्मा ने अक्टूबर 2022 में तिरुवनंतपुरम के परस्सला निवासी शेरोन की चाचा निर्मलकुमारन की मदद से हत्या कर दी थी। इसका कारण शेरोन द्वारा शादी का दबाव बनाना था।
पुलिस ने बताया कि ग्रीष्मा की दूसरी जगह शादी तय होने के बाद वह शेरोन से पीछा छुड़ाना चाहती थी, लेकितन शेरोन पर उस पर शादी का दबाव बना रहा था।
इससे परेशान होकर ग्रीष्मा ने अपने चाचा की मदद से उसकी हत्या की योजना बनाई थी।
वारदात
ग्रीष्मा ने कैसे दिया था वारदात को अंजाम?
पुलिस ने बताया कि ग्रीष्मा ने शादी की तारीख नजदीक आने पर शेरोन को अपने घर बुलाया और उसे एक आयुर्वेदिक काढ़ा पिला दिया।
इसके बाद शेरोन की तबीयत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
25 अक्टूबर को शेरोन की अस्पताल में कई अंगों के काम करना बंद करने से मौत हो गई। मौत से पहले उसने बताया था कि ग्रीष्मा ने उसे जहर दिया है। इसके बाद परिजनों ने ग्रीष्मा के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
सजा
कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
इस मामले में पुलिस ने 31 अक्टूबर, 2022 को गिरफ्तार कर लिया और जांच शुरू कर दी। इसमें ग्रीष्मा के शेरोन को जहर दिए जाने के सबूत मिल गए।
कोर्ट ने अब ग्रीष्मा को IPC की विभिन्न धाराओं में हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है।
इसी तरह उसके चाचा को सबूत मिटाने में मदद करने के लिए 3 साल जेल की सजा सुनाई है और उसकी मां को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
इनकार
कोर्ट ने ग्रीष्मा को राहत देने से किया इनकार
विशेष लोक अभियोजक वीएस विनीत कुमार ने बताया कि पिछले हफ्ते ग्रीष्मा ने अपनी पढ़ाई-लिखाई और पहले कभी कोई अपराध न करने का हवाला देकर कम सजा की मांग की थी।
उसने यह भी कहा कि वह अपने माता-पिता की इकलौती बेटी है, इसलिए उसे कम सजा मिलनी चाहिए।
हालांकि, कोर्ट ने यह कहते हुए उसकी मांग खारिज कर दी कि अपराध की गंभीरता के आधार पर आरोपी की उम्र पर विचार करने की कोई जरूरत नहीं है।