केरल में मिला म्यूरिन टाइफस का मरीज, जानिए कितनी घातक है यह संक्रामक बीमारी
केरल में एक और जानलेवा बीमारी से संक्रमित मरीज पाया गया है। यहां के एक 75 वर्षीय शख्स को जीवाणुओं से होने वाली बीमारी म्यूरिन टाइफस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। इस व्यक्ति ने हाल ही में वियतनाम और कंबोडिया की यात्रा की थी। 8 सितंबर को शख्स ने शरीर में दर्द और थकान की शिकायत की थी। फिलहाल शख्स की एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। आइए म्यूरिन टाइफस बीमारी के बारे में जानते हैं।
म्यूरिन टाइफस क्या है?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, म्यूरिन टाइफस एक संक्रामक बीमारी है, जो पिस्सुओं में पाए जाने वाले बैक्टीरिया रिकेट्सिया टाइफी के कारण होती है। संक्रमित पिस्सू के काटने से यह बीमारी मनुष्यों में फैलती है। इसके अलावा चूहे और नेवले भी इस बीमारी को फैला सकते हैं। अगर एक बार पिस्सू रिकेट्सिया टाइफी बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाता है तो ये जिंदगीभर इस बीमारी को फैला सकता है।
कैसे फैलती है बीमारी?
यह बीमारी तब फैलती है, जब संक्रमित पिस्सू का मल त्वचा पर किसी घाव या खरोंच के संपर्क में आता है। संक्रमित पिस्सू के मल के संपर्क में आने से भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। इसके अलावा संक्रमित पिस्सू के गलती से सांस के जरिए शरीर या आंखों में चले जाने पर भी ये बीमारी फैलती है। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है।
क्या होते हैं लक्षण?
संक्रमित मरीज में बुखार, ठंड लगना, शरीर, सिर और मांसपेशियों में दर्द होना, भूख न लगना, जी मिचलाना, उल्टी होना, पेट दर्द होना और खांसी जैसे लक्षण देखे जाते हैं। करीब आधे रोगियों के शरीर में दाने या लाल चकत्ते भी हो सकते हैं, जो संक्रमित होने के 5-7 दिन बाद उठते हैं। आमतौर पर म्यूरिन टाइफस और डेंगू के कई लक्षण एक जैसे होते हैं। संक्रमित व्यक्ति के शरीर में 2 हफ्ते तक लक्षण देखे जा सकते हैं।
कितनी गंभीर है ये बीमारी?
इलाज मिलने पर 2 हफ्ते के भीतर संक्रमित मरीज ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में गंभीर बीमारी भी हो सकती है। CDC के अनुसार, केवल एक प्रतिशत मरीजों में ही इस बीमारी के गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं। स्थिति गंभीर होने पर ये बीमारी मस्तिष्क, लीवर, फेफड़े और गुर्दे को भी प्रभावित कर सकती है। CDC के मुताबिक, अभी तक इस बीमारी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
आप कैसे कर सकते हैं बचाव?
बीमारी के जल्दी पकड़ में आने के बाद एंटीबायोटिक दवाओं से इसका इलाज किया जा सकता है। आमतौर पर संक्रमित मरीज को डॉक्सीसाइक्लिन नामक एंटीबायोटिक दवा दी जाती है। आप अपने पालतू जानवरों को पिस्सू से रोकने के लिए उसे पिस्सू कॉलर बांधे और पाउडर का छिड़काव करें। घर में चूहों का आना बंद करें, कबाड़ और गैरजरूरी सामान को हटाएं और खाने के सामानों को कभी खुले में न रखें।