राफेल, मिराज से लेकर सुखोई लड़ाकू विमानों तक, जानिए किसमें कितना है दम
लंबे इंतजार के बाद पांच राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप बुधवार को भारत पहुंच गई है। वायु सेना के अंबाला एयरबेस पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने इन विमानों का स्वागत किया। इसके साथ आसमान में भारत की ताकत और मजबूत हो गई। भारत के पास इससे पहले मिराज-2000, सुखोई सहित अन्य लड़ाकू विमान भी है जो दुनिया में भारतीय वायु सेना की मजबूती को दर्शाते हैं। आइए जानें सभी लड़ाकू विमानों की खासियत।
राफेल लड़ाकू विमानों के आने से और मजबूत हुई भारतीय वायु सेना
भारत ने सितंबर 2016 में लगभग 59,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 विमानों के लिए फ्रांस से करार किया था। डसॉल्ट एविएशन द्वारा विकसित यह विमान परमाणु हथियार और मिसाइल ले जाने में सक्षम है। यह बेजोड़ सुरक्षा तकनीक, गति और हमले की क्षमता के मशहूर है। यह लगभग 2,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 3,700 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। राफेल सिंगल और ड्यूल सीटिंग दोनों केबिन में आता है।
भारत के सबसे घातक लड़ाकू विमानों में से एक है मिराज-2000
मिराज-2000 भारतीय वायु सेना (IAF) के सबसे घातक लड़ाकू विमानों में से एक है और इसे पहली बार 1985 में कमीशन किया गया था। IAF ने इसको 'वज्र' नाम दिया है। डसॉल्ट एविएशन द्वारा विकसित इस विमान ने 1978 में पहली उड़ान भरी और 1984 में फ्रांसीसी वायु सेना में शामिल हुआ था। भारत ने 1982 में 36 सिंगल और चार ट्विन सीटर मिराज का ऑर्डर दिया था। इसने 1999 के करगिल युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई थी।
हवा से हवा और जमीन पर हमला करने की क्षमता रखता है सुखोई
सुखोई Su-30MKI भारतीय वायु सेना का बेहतरीन लड़ाकू विमान है। इसमें हवा से हवा और जमीन पर हमला करने की क्षमता है। इसके फ्लेंकर (NATO) के रूप में भी जाना जाता है। इसे HAL द्वारा भारत में बनाया गया है। वायु सेना में 290 सुखोई विमान है और पहला विमान 2002 में आया था। इसकी रफ्तार 2,120 किमी प्रति घंटा और भार क्षमता 38,800 किलो है। यह राडार, मिसाइल, बम और इवेंट रॉकेट सहित कई उपकरण ले जा सकता है।
हवा से जमीन पर हमला करने में मशहूर है मिग-27
मिग-27 को हवा से जमीन पर हमला करने की महारत हासिल है। इसे सोवियत संघ की मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया था और एक लाइसेंस समझौते के तहत HAL ने इसका निर्माण किया था। मिग-27 को भारत में बहादुर के नाम से भी जाना जाता है। IAF ने आखिरी मिग-27 स्क्वाड्रन को 2017 में रिटायर किया था। भारत अभी भी अपडेट मिग-27 संचालन करने वाले देशों में शामिल है। यह MiG23 की तरह कम ऊंचाई वाला है।
भारत में 'शमशेर' के नाम से पहचाना जाता है 'SEPECAT जगुआर'
SEPECAT जगुआर लड़ाकू विमान को ब्रिटिश रॉयल वायु सेना और फ्रांसीसी वायु सेना द्वारा विकसित किया गया है। केवल भारतीय वायु सेना वर्तमान में सक्रिय ड्यूटी में उन्नत जगुआर का उपयोग कर रही है। इसे भारत में 'शमशेर' के नाम से जाना जाता है और इसे हवा से जमीन पर हमला करने में महाराथ हासिल है। भारतीय जगुआर RAF के जगुआर से काफी अलग है और एक लाइसेंस समझौते के तहत HAL द्वारा बनाया गया है।
मिग-29 का सबसे बड़ा निर्यातक है भारत
हवा से जमीन में लेजर गाइड बमों के हमले में सहयोग करने के लिए IAF में शामिल मिग-29 को भी सोवियत संघ की मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया था। इसे 30 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है और भारत इसका का सबसे बड़ा और पहला निर्यातक है। IAF वर्तमान में उन्नत मिग-29 UPG का उपयोग करता है। मिग-29 का उपयोग करगिल युद्ध में लेजर गाइड बम हमला करने के लिए मिराज-2000 को एस्कॉर्ट देने में किया था।
तेजस LCA का है अपना अलग महत्व
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 1980 के दशक में मिग-21 की जगह लेने के लिए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) कार्यक्रम की शुरुआत की थी। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी ने इसे तेजस नाम दिया था। पहले स्वदेश निर्मित लड़ाकू विमान को लेने के बाद IAF ने 20 जेट का ऑर्डर दिया था। अब तक IAF ने 40 तेजस एमके 1 का ऑर्डर दिया है, जिसमें 32 सिंगल-सीट और आठ ट्विन-सीट ट्रेनर शामिल हैं।
धरती पर सबसे प्रसिद्ध फाइटर जेटों में से एक है मिग-21
सुपरसोनिक जेट विमान मिग-21 धरती पर सबसे प्रसिद्ध फाइटर जेट्स में से एक है। यह वर्तमान में भारत सहित कई अन्य देशों की सेना में शामिल है। IAF ने साल 1961 में मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो से करार कर मिग-21 तैयार कराया था। भारत अब तक 250 जेट खरीद चुका है। इसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसकी रफ्तार 1,300 किलोमीटर प्रति घंटा है। वर्तमान में इसका उपयोग इंटरसेप्टर के रूप में किया जा रहा है।