DRDO के वैज्ञानिक ने पाकिस्तानी एजेंट को दी थी मिसाइलों के बारे में जानकारी- चार्जशीट
महाराष्ट्र के आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) द्वारा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर के खिलाफ दाखिल की गई चार्जशीट में अहम सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। आरोप है कि कुरुलकर ने जारा दासगुप्ता नाम का इस्तेमाल करने वाले पाकिस्तानी खुफिया एजेंट से बातचीत करने के दौरान भारतीय मिसाइल प्रणालियों समेत खुफिया रक्षा परियोजनाओं के बारे में जानकारी साझा की थी। गौरतलब है कि हनीट्रैप का शिकार हुए फिलहाल कुरुलकर न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।
पाकिस्तानी एजेंट ने किया था जारा दासगुप्ता नाम का इस्तेमाल
ATS द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक, कुरुलकर और जारा दासगुप्ता व्हाट्सऐप के साथ-साथ वॉयस कॉल और वीडियो कॉल के जरिए संपर्क में थे। दासगुप्ता ने खुद को यूनाइटेड किंगडम (UK) में रहने वाली एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताया था और अश्लील वीडियो भेजकर कुरुलकर के साथ दोस्ती की थी। ATS ने आगे कहा कि मामले की जांच के दौरान दासगुप्ता के IP एड्रेस की लोकेशन पाकिस्तान में पाई गई थी।
कुरुलकर ने निजी फोन पर इकट्ठी की थी संवेदनशील जानकारी
ATS ने कहा कि जारा दासगुप्ता बने पाकिस्तानी एजेंट ने कुरुलकर से बातचीत के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल लॉन्चर, अग्नि मिसाइल लॉन्चर, मिलिट्री ब्रिजिंग सिस्टम, सतह से हवा में वार करने वाली मिसाइल, ड्रोन आदि के बारे में संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की थी। कुरुलकर ने DRDO की इस संवेदनशील जानकारी को अपने निजी फोन पर इकट्ठा किया था और फिर कथित तौर पर इसे दासगुप्ता के साथ साझा कर दिया था।
मई में हुई थी कुरुलकर की गिरफ्तारी
ATS ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 के तहत जासूसी करने के आरोप में 3 मई को कुरुलकर को पुणे से गिरफ्तार किया था। ATS के अधिकारियों ने कहा था, "कुरुलकर ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और उन्होंने दुश्मन देश पाकिस्तान को वह गुप्त जानकारी साझा की है, जो देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। उन्होंने सब कुछ जानते हुए भी ऐसा किया था।"
कौन है प्रदीप कुरुलकर?
कुरुलकर पुणे में स्थित DRDO की एक प्रमुख प्रणाली इंजीनियरिंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब के डायरेक्टर के पद पर तैनात थे। उन्होंने 1985 में पुणे के इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में प्रथम श्रेणी से स्नातक की परीक्षा पास की और उसके बाद IIT कानपुर से एडवांस पावर इलेक्ट्रॉनिक्स में कोर्स किया था। इसके बाद कुरुलकर 1988 में DRDO में शामिल हुए थे और वह मिसाइलों सहित DRDO के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुके हैं।