विजय माल्या मामले में CBI के इस अधिकारी ने दिलाई भारत को कामयाबी
क्या है खबर?
भगौड़े कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है।
ब्रिटेन में हाई कोर्ट ने माल्या की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति देने वाली याचिका को खारिज कर दी है। अब माल्या को अगले 28 दिनों में भारत को सौंपा जा सकता है।
माल्या का पीछा करने में केंद्रीय जांच एजेंसी CBI के अधिकारी सुमन कुमार सबसे आगे रहे। आइये, इनके बारे में विस्तार में जानते हैं।
करियर
2015 में कुमार को सौंपा गया था मामला
55 वर्षीय सुमन कुमार 2015 में मुंबई में बैंकिंग फ्रॉड और सिक्योरिटी सेल में DSP थे। उस समय उन्हें माल्या का केस सौंपा गया।
23 साल की उम्र में बतौर सब इंस्पेक्टर एजेंसी से जुड़ने वाले कुमार का बैंक फ्रॉड मामलों की जांच करने में शानदार रिकॉर्ड है।
2002 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ जांच अधिकारी का स्वर्ण पदक देने का ऐलान हुआ। 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें यह पदक देकर सम्मानित किया था।
मामला
2016 में देश से फरार हुआ था माल्या
सूत्रों का कहना है कि माल्या को कर्ज देने वाले बैंकों ने धोखाधड़ी के गंभीर आरोप होने के बावजूद उसके खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। इसके बाद CBI ने अपने सूत्रों से सूचना निकाली 900 करोड़ रुपये के फ्रॉड के आरोप में माल्या के खिलाफ पहला मामला दर्ज किया।
2016 में माल्या देश छोड़कर भाग गया। इसके बाद CBI ने इंग्लैंड से उसे वापस भारत लाने की लंबी लड़ाई शुरू की। इसका जिम्मा कुमार को सौंपा गया।
जांच
कुमार ने राकेश अस्थाना के साथ मिलकर संभाली मामले की कमान
उस समय CBI के अतिरिक्त निदेशक राकेश अस्थाना को मामला देख रही विशेष जांच टीम का प्रमुख बनाया गया।
अस्थाना ने कुमार के साथ मिलकर माल्या के सारे कानूनी विकल्पों का जवाब देने की जिम्मेदारी संभाली।
इस अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि हर सुनवाई पर एजेंसी के लोग वहां मौजूद रहें।
साथ ही इन्होंने इंग्लैंड की अदालत में पैरवी कर रही क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस की टीम के साथ संयोजन बनाए रखा।
जानकारी
CBI और ED की मदद से केस लड़ रही थी क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस
क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की मदद से इस मामले में पैरवी कर रही थी। इसी बीच कुमार ने माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला मजबूत करने और उसके प्रत्यर्पण के लिए भारत में चार्जशीट दायर कर दी।
सुनवाई
माल्या की हर कोशिश अदालत में हुई असफल
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "हम वहां कोई ट्रायल नहीं लड़ रहे थे। हमें अदालत को यह विश्वास दिलाना था कि माल्या के प्रत्यर्पण के लिए पर्याप्त आधार है।"
कुमार की जांच से अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंच पाई कि माल्या को भारत को सौंपना चाहिए।
इस बीच माल्या ने अपना प्रत्यर्पण रोकने के लिए हरसंभव कोशिश की, लेकिन उसकी हर चाल अदालत में चित्त हो गई।
अब उसके भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ दिख रहा है।
जानकारी
CBI ने की कुमार की सराहना
जांच में कामयाबी मिलने के बाद CBI ने कुमार की तारीफ की है। प्रवक्ता ने कहा, "CBI भगौड़े के खिलाफ जांच और प्रत्यर्पण कार्यवाही को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए जांच अधिकारी एडिशनल SP सुमन कुमार की मेहनत और सफल प्रयासों की सरहना करती है।"
प्रत्यर्पण
माल्या के पास प्रत्यर्पण से बचने के कानूनी विकल्प खत्म
हाई कोर्ट के अपील खारिज करने के बाद अब माल्या के पास कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है।
अब भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत वहां की गृह मंत्री को अगले 28 दिनों में उसके प्रत्यर्पण के दस्तावेज पर साइन करने होंगे। उसके बाद उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
हालांकि, अब भी माल्या के पास यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स का दरवाज़ा खटखटाने का विकल्प बाकी है। प्रत्यर्पण से बचने के लिए वह वहां अपील कर सकता है।