
बिहार: मतदान से 15 दिन पहले उम्मीदवार की मौत, ग्रामीणों ने वोट देकर बना दिया विजेता
क्या है खबर?
इसे प्रशासन की चूक कहें या ग्रामीणों की चालाकी, जिसके कारण बिहार के जमुई जिले में हुए पंचायत चुनावों में मृत नेता ने जीत हासिल कर ली।
मामले का खुलासा उस समय हुआ जब अधिकारी जीत हासिल करने वाले उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र सौंप रहे थे और मृत नेता का नंबर आने पर वह उपस्थित नहीं हुआ।
जांच में सामने आया कि विजेता बने नेता की 24 नवंबर को हुए मतदान से 15 दिन पहले ही मौत हो गई थी।
प्रकरण
पंचायत चुनाव के लिए दाखिल किया था नामांकन
NDTV के अनुसार, खंड विकास अधिकारी (BDO) राघवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जीत हासिल करने वाला मृत नेता झारखंड राज्य की सीमा पर स्थित आदिवासी गांव दीपकरहर निवासी सोहन मुर्मू है।
उसने 24 नवंबर को जमुई जिले में हुए पंचायत चुनावों के लिए अपने गांव के वार्ड दो से नामांकन दाखिल किया था।
इसके बाद मतदान से 15 दिन पहले बीमारी के कारण उसकी मौत हो गई। इसके बाद भी परिजनों ने इसकी सूचना नहीं दी।
कारण
चुनाव में जीत हासिल करना थी मुर्मू की अंतिम इच्छा
BDO त्रिपाठी ने बताया कि मुर्मू काफी समय से बीमार था और उसने चुनाव में जीत हासिल करने की अंतिम इच्छा जताई थी। ऐसे में परिजनों ने किसी को कुछ नहीं कहा और ग्रामीणों ने भी उसकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए चुनाव अधिकारियों को जानकारी नहीं दी।
24 नवंबर को हुए मतदान में ग्रामीणों ने उसकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उसे जमकर वोट दिए। इसके चलते उसने 28 वोटों से जीत हासिल कर ली।
खुलासा
प्रमाण पत्र वितरण के दौरान उपस्थित नहीं हुआ मुर्मू
BDO त्रिपाठी ने बताया कि शुक्रवार को पंचायत चुनाव में जीत हासिल करने वाले उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र सौंपे जा रहे थे। उसी दौरान मुर्मू का नाम भी पुकारा गया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुआ। उसे काफी ढूंढा गया, लेकिन वह नहीं आया।
उन्होंने कहा कि पूछताछ में पता चला कि मतदान से 15 दिन पहले 6 नवंबर को ही मुर्मू की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि इसका पता चलते ही मौके पर मौजूद सभी लोग चौंक गए।
कार्रवाई
राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव रद्द के लिए लिखा जाएगा- त्रिपाठी
BDO त्रिपाठी ने कहा कि मामले में अधिकारियों की भी लापरवाही रही है कि वह इसकी जानकारी हासिल नहीं कर पाए, लेकिन ग्रामीणों की एकजुटता के कारण ऐसा हुआ है।
उन्होंने कहा कि जीत का प्रमाण पत्र किसी को भी नहीं दिया जा सकता है। ऐसे में राज्य चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी जाएगी और अनुरोध करेंगे कि संबंधित वार्ड के चुनाव रद्द कर फिर से चुनाव कराया जाए।