उपहार अग्निकांड: सबूतों से छेड़छाड़ के दोष में अंसल बंधुओं को 7 साल की सजा
दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने उपहार अग्निकांड में सबूतों से छेड़छाड़ के जुर्म में अंशुल बंधुओं को सात साल की सजा सुनाई है। अदालत ने सुशील और गोपाल अंसल पर 2.5-2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। फैसला सुनाते हुए चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने कहा कि यह उनके करियर का सबसे बड़ा मामला है और कई रातों तक विचार करने के बाद उन्होंने निर्णय किया कि आरोपियों को सजा मिलनी चाहिए।
क्या था उपहार अग्निकांड?
13 जून, 1997 को दिल्ली के ग्रीनपार्क इलाके में स्थित उपहार सिनेमाहॉल में बॉर्डर फिल्म के एक शो के दौरान आग लगने से 59 दर्शकों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। जांच में सामने आया कि अतिरिक्त सीटें लगाने के लिए सिनेमाहॉल का रास्ता संकरा कर दिया था और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। शुरुआत में दिल्ली पुलिस ने इसकी जांच की और बाद में मामला CBI को सौंप दिया गया था।
8 अक्टूबर को करार दिए गए थे दोषी
अदालत ने 8 अक्टूबर को अंसल बंधुओं को दोषी करार दिया था। उनके साथ-साथ उनके दो कर्मचारियों पीपी बत्रा, अनूप सिंह और अदालत के एक पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा को भी दोषी ठहराया गया था। सबूतों से छेड़छाड़ की बात सबसे पहले 20 जुलाई, 2002 को सामने आई, जिसके बाद शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई और उसे निलंबित कर दिया। 25 जून, 2004 को नौकरी से निकाल दिया गया था।
सजा से बचने के लिए नष्ट किए गए दस्तावेज- अदालत
सोमवार को अंसल बंधुओं को सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि ट्रायल के दौरान दोषियों ने कई अहम दस्तावेजों को नष्ट किया, जो इस मामले में इनकी सहभागिता साबित कर सकते थे। आरोपियों ने सजा से बचने के लिए सावधानीपूर्वक इस योजना को अंजाम दिया था। गौरतलब है कि उपहार त्रासदी पीड़ित एसोसिएशन (AVUT) की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति की याचिका सुनते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने यह मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।
क्या था सबूतों से छेड़छाड़ का मामला?
CBI ने अपनी जांच पूरी करने के बाद सुशील अंसल, गोपाल अंसल और अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। ट्रायल के दौरान सरकारी वकील ने पाया कि जांच अधिकारी द्वारा जब्त और चार्जशीट के साथ दायर किए गए कई दस्तावेज रिकॉर्ड से गायब थे या उनके साथ छेड़छाड़ की जा चुकी थी। बता दें कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाईयों को इस त्रासदी के लिए दोषी करार देते हुए जुर्माना लगाया था।