वायु प्रदूषण से भारत के 10 शहरों में हर साल 33,000 मौतें, दिल्ली में सबसे अधिक
देश में वायु प्रदूषण का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। अब एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत के 10 प्रमुख शहरों में हर दिन होने वाली मौतों में से 7 प्रतिशत से अधिक वायु प्रदूषण के कारण हो रही हैं। यह अध्ययन लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में छपा है, जिसके मुताबिक, देश के 10 शहरों में हर साल 33,000 लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हो रही है।
दिल्ली की हालत बेहद खराब
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में हर साल होने वाली मौतों में से करीब 11.5 प्रतिशत वायु प्रदूषण के चलते हो रही हैं। यानी राजधानी में हर साल लगभग 12,000 लोग जहरीली हवा की वजह से दम तोड़ रहे हैं। दिल्ली में PM2.5 का खतरनाक स्तर मौतों की सबसे बड़ी वजह है। यहां PM2.5 के स्तर में 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की वृद्धि से दैनिक मृत्यु दर में 0.31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
बाकी शहरों का क्या है हाल?
दिल्ली के बाद सबसे ज्यादा मौतें मुंबई में हुई हैं। यहां हर साल 5,091 लोगों की मौत प्रदूषण की वजह से हुई है। इसके बाद कोलकाता में 4,678, चेन्नई में 2,870, अहमदाबाद में 2,495, बेंगलुरु में 2,102, हैदराबाद में 1,597, पुणे में 1,367, वाराणसी में 831 और शिमला में 59 लोगों की मौत हर साल प्रदूषण से हुई है। शिमला में कम प्रदूषण के बावजूद मौतों का आंकड़ा चौंकाने वाला है।
सभी शहरों में PM 2.5 की उपस्थिति खतरनाक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिशों के अनुसार, 24 घंटे की अवधि में PM2.5 कणों की 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर सांद्रता को सुरक्षित माना जाता है। भारतीय मानकों में इसे 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा तक बढ़ा रखा है। भारत के इन सभी शहरों में PM2.5 की सांद्रता भारत द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से कहीं ज्यादा हैं। इन शहरों में साल के 99.8 प्रतिशत दिन PM2.5 की उपस्थिति खतरनाक होती है।
कैसे किया गया अध्ययन?
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 2008 से 2019 के बीच इन 10 शहरों में सरकारी आंकड़ों से मौतों की डेटा इकट्ठा किया। हर शहर के लिए इस अवधि के दौरान रोजाना मौतों का डेटा उपलब्ध कराया गया। कुल 10 शहरों में 36 लाख से अधिक मौतों की जांच की गई। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और नई दिल्ली के क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल सेंटर के शोधकर्ता भी इस अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा थे।
न्यूजबाइट्स प्लस
PM2.5 या PM10, हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों के बारे में बताते हैं। PM2.5 सबसे छोटे वायु कणों में से हैं। इनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर के आसपास होता है। अति सूक्ष्म कण होने की वजह से ये आसानी से हमारे शरीर में चले जाते हैं। PM10 कणों को रेस्पॉयरेबल पर्टिकुलेट मैटर भी कहा जाता है। ये कण फैक्ट्रियों या निर्माण कार्यों से निकलते हैं। प्रदूषण की समस्या को गंभीर बनाने में PM2.5 और PM10 कणों की भूमिका अहम होती है।