हाथरस हादसा: 24 साल पहले आगरा में गिरफ्तार हुए थे 'भोले बाबा', पुनर्जीवन का था दावा
उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि (सूरजपाल) के सत्संग में मची भगदड़ से अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें सबसे अधिक 113 महिलाएं हैं। यह पहला मामला नहीं है, जब भोले बाबा किसी मामले को लेकर पुलिस जांच के घेरे में आए हों। इससे पहले वर्ष 2000 में वह आगरा में एक बच्ची को जीवित करने के दावे के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। यह मामला बंद हो चुका है।
क्या है बच्ची को जीवित करने का मामला?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी तेजवीर सिंह ने बताया कि वह 2000 में आगरा के शाहगंज थाने में तैनात थे। 18 मार्च को भोले बाबा के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। उन्होंने बताया कि सूरजपाल करीब 250 लोगों के साथ श्मशान घाट पहुंचे थे और 16 वर्षीय बच्ची स्नेह लता के अंतिम संस्कार से परिवार को रोक दिया था। उन्होंने परिवार को समझाया था कि वह बच्ची को फिर से जीवित कर सकते हैं।
शव को जबरन परिवार से छीना
तेजवीर सिंह ने बताया कि सूरजपाल ने बच्ची के शव को जबरन परिवार से छीन लिया। इसके बाद पुलिस में शिकायत की गई। उन्होंने बताया कि जब वह टीम के साथ मौके पर पहुंचे तो सूरजपाल के लोगों ने उनसे बहस की और उनपर पथराव शुरू कर दिया। उन्होंने अतिरिक्त टीम बुलाकर स्थिति को नियंत्रित किया। वह सूरजपाल और अन्य को थाने ले आए, जहां उन्होंने सूरजपाल, उनकी पत्नी समेत 6 लोगों पर संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
दिसंबर में दायर की गई क्लोजर रिपोर्ट
आगरा के पुलिस उपायुक्त सूरज कुमार राय ने सूरजपाल की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि मामले में आगे की जांच कर आरोपपत्र दाखिल किया गया था। आगे नए सबूत मिले तो फिर जांच हुई और एकत्र किए गए सूबतों के आधार पर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई। पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दिसंबर, 2000 में दाखिल की थी। सूरजपाल को गिरफ्तार करने वाले तेजवीर सिंह 2019 में पुलिस उपाधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
हाथरस हादसे से फिर चर्चा में आए भोले बाबा उर्फ सूरजपाल
भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल इस बार हाथरस हादसे की वजह से चर्चा में हैं। भगदड़ तब मची जब भक्त बाबा के चरणों की धूल लेने दौड़े। मंगलवार को सिकंदराराऊ में मंगलवार को भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। इस दौरान वहां हजारों लोग मौजूद थे, जिनमें 123 की मौत हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की है।