पश्चिम बंगाल: कूचबिहार में करंट लगने से 10 कांवड़ियों की मौत, 19 घायल
क्या है खबर?
पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में रविवार को बिजली का करंट लगने से 10 कांवड़ियों की मौत हो गई, वहीं 19 अन्य घायल हो गए।
ये सभी कांवड़िये एक गाड़ी में बैठे हुए थे और पुलिस ने गाड़ी में रखे जनरेटर की वायरिंग गलत होने के कारण उन्हें करंट लगने की आशंका जताई है।
गाड़ी का ड्राइवर घटना के बाद से ही फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है। गाड़ी को जब्त कर लिया गया है।
घटनाक्रम
रात लगभग 12 बजे हुई घटना
कूचबिहार के अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) अमित वर्मा ने मामले पर बयान जारी करते हुए बताया कि घटना रविवार और सोमवार के बीच रात 12 बजे हुई।
उनके अनुसार, कांवड़ियों को लेकर एक पिकअप वैन जलपेश की तरफ जा रही थी, तभी मेखलीगंज पुलिस क्षेत्र में आने वाले धरला पुल के पास इसमें करंट आ गया।
घटना की सूचना मिलने पर घायल कांवड़ियों को तुरंत पास के ही एक अस्पताल ले जाया गया।
इलाज
अस्पताल में मृत घोषित किए गए 10 कांवड़िये, 16 दूसरे अस्पताल रेफर
पुलिस ने अपने बयान में बताया कि करंट लगने से प्रभावित हुए सभी कांवड़ियों को चंगराबंध ब्लॉक प्राथमिक चिकित्सा केंद्र (BPHC) लाया गया, जहां 10 कांवड़ियों को मृत घोषित कर दिया गया, वहीं बाकी 16 को जलपाईगुड़ी अस्पताल रेफर कर दिया गया। उन्हें हल्की चोटें ही आई हैं, लेकिन अच्छे इलाज और विस्तृत जांच के लिए उन्हें रेफर किया गया है।
सभी कांवड़िये सीतलकुची थाना क्षेत्र के रहने वाले थे और मृतकों के परिजनों को सूचित कर दिया गया है।
अन्य हादसा
हाथरस में ट्रक के नीचे आने से मारे गए थे छह कांवड़िये
बता दें कि कांवड़ियों से संबंधित ये पहला हादसा नहीं है और इससे पहले कुछ ऐसे हादसे हो चुके हैं जिनमें कांवड़ियों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
23 जुलाई को ही उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक ट्रक की चपेट में आ जाने से छह कांवड़ियों की मौत हो गई थी। हादसा सादाबाद के पास हुआ।
कांवड़िये यहां आराम के लिए एक ढाबे पर रुके हुए थे और उनके यात्रा शुरू करते ही एक ट्रक ने उन्हें कुचल दिया।
कांवड़ यात्रा
दो साल बाद हो रहा कांवड़ यात्रा का आयोजन
कोरोना वायरस महामारी के कारण दो साल बंद रहने के बाद इस बार कांवड़ यात्रा का आयोजन हो रहा है। अधिकारियों का अनुमान है कि अलग-अलग राज्यों से करीब चार करोड़ कांवड़ियां हरिद्वार और ऋषिकेश से गंगाजल लेने आएंगे।
बता दें कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से हर साल बड़ी संख्या में लोग हरिद्वार और ऋषिकेश जाते हैं। वहां से ये लोग गंगाजल लाकर अपने पास के शिव मंदिर में अर्पित करते हैं।
जानकारी
क्या होती है कांवड़ यात्रा?
कांवड़िये भगवान शिव के भक्त होते हैं जो कांवड़ के जरिए गंगाजल लाकर अपने इलाके के शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। ये यात्रा सावन (जुलाई) में शुरू होती है और अगस्त के पहले हफ्ते तक चलती है। इस साल ये 14 जुलाई को शुरू हुई।