राम गोपाल वर्मा ने नैतिकता का पालन करने से किया इनकार, सेंसरशिप पर भी उठाए सवाल
क्या है खबर?
किसी जमाने में अपनी एक से बढ़कर एक फिल्मों के लिए सुर्खियां बटोरने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा अब अपने विवादों के लिए मीडिया खबरों में बने रहते हैं।
निर्देशक आए दिन किसी ना किसी विवाद पर अपने बिगड़े बोलों के चक्कर में सुर्खियों में आ जाते हैं।
अब हाल ही में वर्मा ने अपने विद्रोही बर्ताव के बारे में खुलकर बात की और बताया कि वह आखिर नैतिकता का सम्मान क्यों नहीं करते हैं।
चलिए जानते हैं।
खुलासा
इस किताब ने दिया वर्मा की सोच को बढ़ावा
फिल्म कंपेनियन साउथ को दिए एक इंटरव्यू में वर्मा ने खुलासा किया की स्कूल के दिनों में ही उनका विद्रोह शुरू हो गया था।
वर्मा के अनुसार उनकी आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने का काम रंगनायकम्मा द्वारा लिखित किताब 'रामायण: द पॉइजनस ट्री' ने किया था।
निर्देशक के अनुसार किताब में रामायण जैसी पूजनीय चीज को मार्क्सवादी दृष्टिकोण से समझाया गया था। हालांकि, उन्होंने इस पहलू को नहीं अपनाया था।
बदलाव
वर्मा की सोच में हुआ बदलाव
मार्कस्वादी पहलू को ना अपनाकर भी निर्देशक को यह समझ आ गया था कि आप किसी भी ऐसी चीज को चुनौती दे सकते हैं, जिसके बारे में यह सोचा जाता है कि उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
रामायण के इस परारूप ने चीजों को स्वीकार करने की वर्मा की सोच को बदला और यहीं से उनका रवैया आलोचनात्मक होता गया और उन्होंने सामाजिक मानदंडों पर सवाल उठाने शुरू किए।
कानून
सिर्फ कानून का पालन करते हैं वर्मा
वर्मा ने खुलासा किया कि इसके बाद उन्होंने और भी ऐसी दार्शनिक किताबें पढ़ीं जिन्होंने उन्हें विद्रोही बना दिया।
उनका कहना है कि वह विद्रोही की तरह रहते हैं। निर्देशक के अनुसार, विद्रोह कुछ और नहीं बल्कि जो स्वीकृत है उसके विरुद्ध जाना है।
वर्मा ने कहा, "मैं कानून का पालन करूंगा, लेकिन नैतिकता का पालन नहीं करता। मैं धर्म का पालन नहीं करता क्योंकि कानून आवश्यक है। एकमात्र चीज जिसका मैं पालन करता हूं वह है कानून।"
स्वतंत्रता
वर्मा ने सेंसरशिप पर उठाया सवाल
निर्देशक का मानना है कि नैतिक संहिताएं स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करती हैं।
वर्मा ने अपनी बात को कहने की स्वतंत्रता के महत्व की वकालत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि नैतिक बाधाओं के बजाय सामाजिक व्यवहार में बदलाव करना चाहिए।
निर्देशक ने सेंसरशिप की आवश्यकता पर भी सवाल उठाया और सिनेमाई क्षेत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा में बारे में बात की। उनके अनुसार जब तक स्वतंत्रता नहीं दी जाती, रचनात्मक विचार बाधित होते रहेंगे।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
वर्मा ने बॉलीवुड को कई शानदार फिल्में दी हैं। निर्देशक की बेहतरीन फिल्मों में 'शिवा', 'रंगीला', 'सत्या', 'कंपनी','सरकार', 'अब तक छप्पन', 'सरकार राज' और 'रक्त चरित्र' शामिल हैं। वर्मा ने मनोज बाजपेयी की फिल्म 'शूल' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता था।