NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    क्रिकेट समाचार
    नरेंद्र मोदी
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    राहुल गांधी
    #NewsBytesExplainer
    IPL 2025
    ऑपरेशन सिंदूर
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout

    देश
    राजनीति
    दुनिया
    बिज़नेस
    खेलकूद
    मनोरंजन
    टेक्नोलॉजी
    करियर
    अजब-गजब
    लाइफस्टाइल
    ऑटो
    एक्सक्लूसिव
    विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
    होम / खबरें / मनोरंजन की खबरें / #NewsBytesExplainer: दादा साहेब फाल्के ने कैसे रखी भारतीय सिनेमा की नींव? जानिए पूरी कहानी
    अगली खबर
    #NewsBytesExplainer: दादा साहेब फाल्के ने कैसे रखी भारतीय सिनेमा की नींव? जानिए पूरी कहानी
    दादा साहेब फाल्के ने कैसे और कब की भारतीय सिनेमा की शुरुआत? जानिए सबकुछ

    #NewsBytesExplainer: दादा साहेब फाल्के ने कैसे रखी भारतीय सिनेमा की नींव? जानिए पूरी कहानी

    लेखन नेहा शर्मा
    Apr 30, 2023
    08:15 am

    क्या है खबर?

    दादा साहेब फाल्के वो शख्स थे, जिनका नाम भारतीय सिनेमा में बड़े अदब से लिया जाता है। उन्होंने भारतीय सिनेमा की आधारशिला रखी।

    महाराष्ट्र के नासिक में एक मराठी परिवार में 30 अप्रैल, 1870 में जन्मे फाल्के ने उस वक्त सिनेमा जगत में पदार्पण किया, जब भारत में इसका कोई अस्तित्व ही नहीं था।

    उनकी जयंती के मौके पर आज हम आपको उनके बारे में विस्तार से बताएंगे और यह भी बताएंगे कि उनका फिल्मी सफर कैसे शुरू हुआ।

    नाम

    क्या था असली नाम और कहां से ली शिक्षा?

    दादा साहेब का असली नाम धुंडिराज गोविंद फाल्के था।

    उनकी शुरुआती शिक्षा जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स और बड़ौदा के कला भवन में हुई। बचपन से ही कला और साहित्य में उनकी दिलचस्पी थी, इसलिए उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई के लिए कला को ही चुना।

    स्कूल में पढ़ाई करने के साथ ही उन्होंने फोटोग्राफी, अभिनय, मॉडलिंग, पेंटिंग, ड्राॅइंग, आर्किटेक्चर, संगीत जैसी कलाएं सीखीं। फाल्के ने इन सब चीजों को बहुत गंभीरता से लिया और अपने अंदर धारण किया।

    प्रयोग

    खोली खुद की प्रिंटिंग प्रेस

    स्कूल से निकलने के बाद फाल्के सभी कलाओं में माहिर थे, लेकिन उन्हें एक मौके की तलाश थी, जहां वह इनका प्रयोग कर सकें।

    उन्होंने एक दोस्त की मदद से लक्ष्मी आर्ट प्रिंटिंग प्रेस खोली, जिसमें वह अपनी कला के प्रयोग करने लगे।

    1909 में एक नई कलर प्रिंटिंग प्रेस लाने के लिए वह जर्मनी चले गए। सब बढ़िया चल रहा था, लेकिन दोस्त से उनकी कुछ अनबन हो गई। लिहाजा उन्होंने इस साझेदारी से खुद को अलग कर दिया।

    आइडिया

    फिल्म बनाने की धुन कैसे सवार हुई?

    फिल्मों की दुनिया में उन्होंने रुख उस वक्त किया, जब पहली बार ईसा मसीह के जीवन पर बनी एक फिल्म 'लाइफ ऑफ क्राइस्ट' देखी।

    फाल्के ने इसमें हिंदू देवी-देवताओं को बैठाया और अलग-अलग कहानियां आंखों के सामने घूमने लगीं। वह समझ गए थे कि चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन करना यही है।

    फाल्के अपनी धुन के बहुत पक्के थे। उन्होंने फिल्म बनाने की ठान ली। हालांकि, पहली फिल्म बनाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था।

    रकम

    फिल्म बनाने के लिए गिरवी रखे पत्नी के जेवर

    उस वक्त भारत में अंग्रेजों का शासन था और फिल्म बनाने में बहुत पैसे लगते थे। फाल्के ने इंग्लैंड से अखबारों, मैगजीनों और वहां के कुछ दोस्तों को अपना साथी बनाया और एक फिल्म बनाने का काम शुरू कर दिया।

    जब उन्होंने यह प्रयोग शुरू किया तो इसमें उनके जीवन की पूंजी स्वाहा हो गई।

    उन्होंने अपनी पत्नी सरस्वती के जेवर तक गिरवी रख दिए। यहां तक कि दिन-रात काम करने से उनकी आंखों की रोशनी कम हो गई।

    कहानी

    जब लगी कहानी पर मोहर

    कहा जाता है कि घर में पति-पत्नी और बच्चों में तय था कि फिल्म बनेगी, लेकिन किस पर बनेगी, यह तय नहीं था।

    कहानियों को लेकर रोज पूरे परिवार में विचार-विमर्श होता था। सरस्वती कोई कहानी कहती थीं तो फाल्के को पसंद नहीं आती थीं और वह कोई कहानी कहते तो पूरी होने से पहले ही बच्चे सो जाते थे।

    एक रात फाल्के ने 'राजा हरिश्चंद्र' की कहानी सुनाई, जिसके लिए पूरे परिवार ने हामी भरी और कहानी तय हुई।

    जिम्मेदारी

    पत्नी ने संभाला कैमरा और संपादन का काम

    फिल्म को बनाने के लिए फाल्के ने 2 महीने तक हर रोज 4 से 5 घंटे सिनेमा देखा। बचे हुए वक्त में वह फिल्म बनाने की उधेड़-बुन में लगे रहते थे।

    फाल्के ने सरस्वती को कैमरा संभालने को बोला। सरस्वती ने कैमरा संभालना सीखा।

    इसके अलावा वह रोज क्रू के 70 से ज्यादा लोगों के लिए खाना बनाती थीं।

    जब फिल्म बनी तो उसके संपादन की जिम्मेदारी भी सरस्वती ने ही संभाली। भारतीय सिनेमा की पहली एडिटर सरस्वती ही थीं।

    पहला मौका

    पहली बार महिलाओं को कराए सिनेमा जगत के दर्शन

    कहा जाता है कि इस फिल्म को बनाने के लिए 15,000 रुपये खर्च हुए थे, जो उस समय एक बहुत बड़ी राशि थी।

    फाल्के ने फिल्मों में महिलाओं को काम करने का मौका दिया। उनकी बनाई फिल्म 'भस्मासुर मोहिनी' थी, जिसमें उन्होंने 2 महिलाओं को काम करने का मौका दिया, जिनके नाम दुर्गा और कमला थे।

    फाल्के ने अपने 19 साल लंबे करियर में 95 फिल्में और 27 शॉर्ट फिल्में बनाईं।

    आगाज

    3 मई, 1913 में जनता के सामने आई फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र'

    उस दौर में कोई अभिनेत्री फिल्मों में काम करने को तैयार नहीं थी। फाल्के ने फिल्म में रानी तारामती का किरदार निभाने के लिए अखबार में विज्ञापन देने से लेकर सारे हथकंडे अपनाए, लेकिन हीरोइन नहीं मिली।

    आखिर में यह किरदार एक पुरुष कलाकार अन्ना सालुंके ने निभाया। इस फिल्म का सेट मुंबई के दादर में लगा था। फिल्म बनाने में करीब-करीब 8 महीने लग गए थे।

    3 मई, 1913 को यह फिल्म जनता के सामने पेश की गई थी।

    जानकारी

    न्यूजबाइट्स प्लस

    फाल्के ने 16 फरवरी, 1944 को आखिरी सांस ली। भारत सरकार ने भारतीय सिनेमा में उनके अमिट योगदान की याद और उनके सम्मान में 1969 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड की शुरुआत की। देविका रानी चौधरी को पहली बार इस सम्मान से नवाजा गया था।

    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    ताज़ा खबरें
    दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड
    बॉलीवुड समाचार

    ताज़ा खबरें

    महिला वनडे विश्व कप 2025: अहम मैचों की तारीखें घोषित, जानिए कब और कहां खेले जाएंगे   भारतीय महिला क्रिकेट टीम
    IPL में श्रेयस अय्यर का RCB के खिलाफ कैसा रहा है प्रदर्शन? जानिए उनके आंकड़े इंडियन प्रीमियर लीग
    रेखा की फिल्म 'उमराव जान' सिनेमाघरों में दोबारा हो रही रिलीज, जानिए कब देख पाएंगे रेखा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर बोले- सेना युद्ध लड़ने की तैयारी की ओर बढ़ रही है ब्रिटेन

    दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड

    अभिनेत्री आशा पारेख को मिलेगा 2020 का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार बॉलीवुड समाचार
    पुण्यतिथि: लता मंगेशकर ने दान कर दी थी सारी संपत्ति, जानें अनसुनी बातें लता मंगेशकर
    ऋषभ शेट्टी ने दादा साहेब फाल्के अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में जीता 'मोस्ट प्रॉमिसिंग एक्टर' का पुरस्कार कांतारा फिल्म
    दादा साहेब फाल्के अवॉड्‌र्स: आलिया बनीं सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, 'द कश्मीर फाइल्स' सर्वश्रेष्ठ फिल्म, जानिए अन्य विजेता  रणबीर कपूर

    बॉलीवुड समाचार

    विवेक अग्निहोत्री ने ठुकराया फिल्मफेयर का नामांकन, लगाए ये आरोप विवेक अग्निहोत्री
    अनन्या पांडे की साइबर थ्रिलर आगामी फिल्म का नाम होगा 'कंट्रोल', शूटिंग खत्म अनन्या पांडे
    सामंथा रुथ प्रभु ने ली हाइपरबेरिक थेरेपी, साझा की तस्वीरें  सामंथा रुथ प्रभु
    अक्षय कुमार के अतरंगी बैग पर टिकीं सबकी नजरें, जानिए इसकी कीमत  अक्षय कुमार
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स IPL 2025
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2025