#NewsBytesExplainer: 'बैंडिट क्वीन' की ये दास्तां भुला पाना मुश्किल, जानिए कैसे ऑस्कर तक जा पहुंचा सफरनामा
डकैत और बीहड़ बॉलीवुड का पसंदीदा विषय रहा है। चंबल के बीहड़ों को कई दफा पर्दे पर उतारा जा चुका है। 'बैंडिट क्वीन' भी चंबल की डकैत फूलन देवी के जीवन पर बनी थी। ये वो दबंग महिला थीं, जिसके नाम से अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते थे। 25 जुलाई वो तारीख थी, जब फूलन की हत्या कर दी गई थी। आइए 'बैंडिट क्वीन' के बारे में विस्तार से जानें, जिसने दर्शकों के दिल और दिमाग में गहरी छाप छोड़ी।
शेखर कपूर को कैसे आया फिल्म बनाने का ख्याल?
फिल्म के निर्देशक शेखर कपूर थे। उनका फूलन पर फिल्म बनाने का कोई इरादा नहीं था। एक विदेशी टेलीविजन चैनल के लोग चाहते थे कि वह फूलन पर डॉक्यूमेंट्री बनाएं। शेखर ने तब कहा कि उन्हें डॉक्यूमेंट्री बनानी नहीं आती। वह फीचर फिल्म बना सकते हैं। उनसे कहा गया कि बजट सिर्फ डॉक्यूमेंट्री का है और शेखर ने उसी बजट में फिल्म बना दी। फिल्म 'इंडियाज बैंडिट क्वीन : द ट्रू स्टोरी ऑफ फूलन देवी' नाम की किताब पर आधारित थी।
कैसे मिली फिल्म की मुख्य अदाकारा?
फिल्म की कास्टिंग दिल्ली में हुई थी। शेखर चाहते थे कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और थिएटर के कलाकार फिल्म में हों। बड़े एक्टर को फिल्म में न लेने की वजह यह थी कि फिर फिल्म उनकी हो जाती। शेखर ने अभिनेत्री सीमा बिस्वास को थिएटर में नाटक करते देखा था। उन्होंने सीमा से कहा था फिल्म के कई दृश्य शूट करते हुए वह असहज महसूस करेंगी, इसलिए सोचकर जवाब दीजिए। हालांकि, सीमा ने तभी इसके लिए हामी भर दी।
फूलन ने दिलाया सीमा काे राष्ट्रीय पुरस्कार
इस फिल्म के लिए सीमा ने यह सोचकर हामी भरी थी कि यह उनकी पहली और आखिरी फिल्म होगी। चंबल की रानी फूलन के किरदार में सीमा ने कुछ इस कदर जान फूंकी कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।
बैंडिट क्ववीन बनने के लिए यूं की तैयारी
इस किरदार की तैयारी के लिए सीमा, फूलन से मिलना चाहती थीं, लेकिन उस वक्त फूलन पुलिस की हिरासत में थीं। नतीजतन उनके लिए तैयारी और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गई थी। शूटिंग के दौरान सीमा को पहाड़ियों पर से खिसक-खिसकर उतरना था। स्टंटमैन का काम सीमा को पसंद नहीं आया और उन्होंने खुद ये दृश्य करने का फैसला किया। उस वक्त उन्होंने पानी की बोतलें काटकर उनका पैड बनाया और उनको रस्सी से पैरों पर बांधकर उनके सहारे खिसकर उतरीं।
2 दिन तक भूखी-प्यासी रहीं सीमा
शूटिंग के दौरान 2 दिन तक सीमा ने कुछ खाया-पिया नहीं था, क्योंकि फूलन ने भी ऐसा ही कुछ किया था, जब वह जंगलों में रह रही थीं। सीमा ने खुद को बाकी समाज से अलग कर लिया था और धौलपुर के एक गेस्ट हाउस के कोने में बैठकर घंटों अपने किरदार के बारे में सोचती रहती थीं। सीमा असम में पली-बढ़ी थीं, इसलिए उनकी हिंदी काफी कमजोर थी। वह दिन-रात लाइनें समझने के लिए सैकड़ों बार रिहर्सल करती थीं।
हीरोइन की चप्पलों से पिटाई होते देख रो पड़े बुजुर्ग
26 जनवरी, 1994 को आई इस फिल्म से जुड़े कई किस्से हैं। सीमा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक सीन में फूलन को चौराहे पर खड़ा कर चप्पलों से मारा जाता है। उसकी शूटिंग और उस दौरान उन्हें देख वहां चाय बनाने वाले एक स्थानीय बुजुर्ग दुखी हो गए थे। उन्होंने सीमा से कहा था, "बेटा तुम अपने घर चली जाओ। पैसे के लिए तुम कितना कष्ट झेल रही हो?" वह बुजुर्ग इतना कहकर रोने लगे थे।
न्यूड सीन पर खूब मचा बवाल
सीमा ने इस फिल्म के लिए एक न्यूड सीन शूट किया था, जिसके बाद वह पूरी रात फूट-फूटकर रोई थीं। इस पर देशभर में खूब बवाल मचा था। सीमा आलोचनाओं से इतना तंग आ गई थीं कि उन्होंने शेखर से वो सीन हटाने की गुजारिश कर डाली थी, लेकिन शेखर फिल्म को वास्तविकता के करीब रखना चाहते थे। हालांकि, यह सीन सीमा ने नहीं, बल्कि उनकी बॉडी डबल (डुप्लिकेट) ने किया था। सिर्फ सीमा के घरवाले यह बात जानते थे।
सीमा ने अपने परिवार को बंद और अंधेरे कमरे में दिखाई फिल्म
कहा जाता है कि सीमा के परिवारवालों ने 'बैंडिट क्वीन' को दरवाजा बंद करके देखा था। यहां तक की घर के दरवाजों के साथ ही लाइटें भी बंद कर दी गई थीं, क्योंकि सीमा नहीं चाहती थीं कि फिल्म खत्म होने के बाद परिवार की नजर उनके चेहरे पर पड़े। हालांकि, हुआ इसके उलट। फिल्म खत्म हुई तो सीमा के पिता ने उनकी ओर देखा और गहरी सांस लेते हुए कहा, "यह रोल तो हमारी सीमा ही कर सकती है।"
फिल्म में दिखाई गई फूलन की दर्दनाक दास्तां
फूलन ने जो कुछ अपनी जिंदगी में झेला, वो सब इस फिल्म में दिखाया गया है। इसमें दिखाया गया कि कैसे बचपन में फूलन की शादी कर दी जाती है और फिर वह कदम-कदम पर यौन शोषण का शिकार होती है। फूलन के साथ हैवानियत की हदें पार की जाती हैं, जो उसे हथियार उठाने पर मजबूर करती हैं। फूलन की मासूमियत से लेकर उनके डकैत बनने की इस दर्दनाक और प्रेरणादायी कहानी ने सबको झकझोर कर रख दिया था।
प्रतिबंध के बावजूद जीते 3 राष्ट्रीय पुरस्कार और 3 फिल्मफेयर पुरस्कार
इस फिल्म में फूलन की कहानी दिखाई गई, जिनकी कई लोगों ने इज्जत लूटी थी और इस घटना के बाद वह डकैत बन गई थीं। इस फिल्म में आपत्तिजनक दृश्यों के साथ ही गाली गलौच भी थी। ऐसे में इसे सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था। 'बैंडिट क्वीन' को अश्लील, आपत्तिजनक और अभद्र बताया गया था। हालांकि, इस फिल्म ने 3 राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे। इसके अलावा 3 फिल्मफेयर पुरस्कार भी अपने नाम किए थे।
ऑस्कर की दौड़ में थी शामिल
'बैंडिट क्वीन' भारतीय सिनेमा के लिए अलग तरह की फिल्म थी। इसने हिंदी सिनेमा का रवैया बदल दिया था। फिल्म को 1994 में भारत की आधिकारिक एंट्री के रूप में दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कार समारोह ऑस्कर में भी भेजा गया था।
सीमा समेत इन सितारों की किस्मत को लगे पंख
'बैंडिट क्वीन' न सिर्फ बॉलीवुड की बेहतरीन फिल्मों में शुमार हुई, बल्कि इसने सीमा को रातों-रात शोहरत के उस मुकाम पर पहुंचा दिया, जहां पहुंचने के लिए सितारे सालों-साल कड़ी मशक्कत करते हैं। दूसरी तरफ मनोज बाजपेयी, सौरभ शुक्ला और गजराज राव की किस्मत का ताला भी इसी फिल्म के जरिए खुला। इनके अलावा निर्मल पांडे और आदित्य श्रीवास्तव ने भी इसी फिल्म से अपना एक्टिंग करियर शुरू किया और 'बैंडिट क्वीन' ने ही बॉलीवुड में उनका दरवाजा खोला।
फूलन का नाम 'बैंडिट क्वीन' कैसे पड़ा?
रेप का बदला लेने के लिए 14 फरवरी, 1981 को बेहमई गांव में फूलन ने 20 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके गोली मार दी। यही वो हत्याकांड था, जिसने उनकी छवि खूंखार डकैत की बना दी। इसके बाद मीडिया ने फूलन को नया नाम दिया 'बैंडिट क्वीन'। 2001 में केवल 37 की उम्र में खुद को राजपूत गौरव के लिए लड़ने वाला योद्धा बताने वाले शेर सिंह राणा ने फूलन के घर के सामने ही उनकी हत्या कर दी।