जयंती विशेष: हिंदी सिनेमा में गुरु दत्त के योगदान को देखने के लिए देखें ये फिल्में
हिंदी सिनेमा सुनहरे दौर की बात करें तो एक से बढ़कर एक क्लासिक फिल्में याद आती हैं। 50-60 के दशक के निर्देशकों और कलाकारों ने हिंदी सिनेमा को ऐसी फिल्में दीं, जिनकी वजह से आज भी इसकी चमक कायम है। ऐसे ही निर्माता-अभिनेता में शुमार हैं गुरु दत्त। 9 जुलाई को उनकी 98वीं जयंती है। सिनेमा में गुरु दत्त के प्रभावशाली योगदान को देखने के लिए OTT पर उनकी ये फिल्में जरूर देखनी चाहिए।
प्यासा
गुरु दत्त की यह फिल्म 1957 में आई थी। फिल्म में उनके साथ अभिनेत्री वहीदा रहमान और माला सिन्हा ने काम किया था। इस फिल्म का निर्देशन भी गुरु दत्त ने ही किया था। फिल्म में उन्होंने विजय नाम के लड़के का किरदार निभाया था। विजय एक प्रतिभाशाली कवि है, लेकिन मतलबी दुनिया में वह खुद को अकेला महसूस करता है। उसे प्यार और प्रतिष्ठा की तलाश है। 'प्यासा' को आप अमेजन प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं।
कागज के फूल
'कागज के फूल' हिंदी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ रोमांटिक फिल्मों में से एक है। इस फिल्म में भी वह वहीदा रहमान के साथ नजर आए थे। फिल्म में उन्होंने एक मशहूर निर्देशक का किरदार निभाया था। निर्देशक एक दिन एक लड़की से टकराता है, जिसमें उसे स्टार बनने की क्षमता दिखती है। वह उसे अपनी फिल्म में मौका देता है। वह स्टार बन जाती है, जबकि निर्देशक का करियर गिरने लगता है। यह फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर उपलब्ध है।
साहब बीबी और गुलाम
'साहब बीबी और गुलाम' में गुरु दत्त और मीना कुमारी नजर आए थे। अबरार अल्वी द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक मालिक, उसकी पत्नी और उसके नौकर की कहानी दिखाती है। फिल्म में गुरु दत्त ने भूतनाथ का किरदार निभाया था, जो अपने मालिक की पत्नी के करीब आता है और उसे पति द्वारा उसकी प्रताड़ना का अहसास कराता है। हिंदी सिनेमा की यह सदाबहार फिल्म आप यूट्यूब पर देख सकते हैं।
बाज
'बाज' 1953 में आई थी और एक रोचक एक्शन ड्रामा फिल्म है। फिल्म में गुरु दत्त और गीता बाली की जोड़ी दिखाई दी थी। फिल्म पुर्तगाली राज में आजादी की लड़ाई की कहानी पर आधारित थी। कई रोचक ट्विस्ट्स के साथ यह फिल्म स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को दिखाती है। फिल्म में गीता दत्त के कई दिल छू लेने वाले गाने हैं, जिन्हें आज भी पसंद किया जाता है। यह फिल्म यूट्यूब पर देखी जा सकती है।
चौदहवीं का चांद
'चौदहवीं का चांद' 1960 में आई थी। यह रोमांटिक ड्रामा फिल्म लखनऊ की पृष्ठभूमि पर आधारित थी। फिल्म 2 सच्चे दोस्तों की कहानी थी, जो एक ही लड़की के प्यार में पड़ जाते हैं। ऐसे में फिल्म एक रोचक लव ट्रायंगल बन जाती है। मोहम्मद रफी का गाया हुआ गीत 'चौदहवीं का चांद' हिंदी के शानदार और सदाबहार गीतों में शुमार है, जिसे आज भी पसंद किया जाता है। यह फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर मौजूद है।