दिशा पाटनी के पिता के साथ धोखाधड़ी, सरकारी नाैकरी दिलाने के नाम पर ठगे लाखों रुपये
अभिनत्री दिशा पाटनी अक्सर किसी न किसी वजह से चर्चा में रहती हैं। पिछले कुछ दिनों से वह साउथ के स्टार सूर्या की फिल्म 'कंगुवा' को लेकर सुर्खियां बटोर रही हैं, जिसमें उन्होंने ग्लैमर का जबरदस्त तड़का लगाया है। अब एक बार फिर दिशा चर्चा में आ गई हैं और इस बार उन्हें सुर्खियों में लेकर आए हैं उनके पिता, जो हाल ही में ठगों की जालसाजी का शिकार हुए हैं। आइए पूरा मामला जानें।
उच्च पद दिलाने के नाम पर ठग लिए लाखों
दिशा के पिता और सेवानिवृत पुलिस अफसर जगदीश पाटनी बड़ी ठगी का शिकार हो गए हैं। उनके पिता को सरकारी आयोग में उच्च पद दिलाने के नाम पर 25 लाख रुपये की ठगी की गई है। ठगी को लेकर जगदीश ने शुक्रवार शाम को बरेली कोतवाली थाने में FIR दर्ज कराई है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। कोतवाली में जूना अखाड़ा ऋषिकेश के गुरु आचार्य जयप्रकाश समेत पांच लोगों पर रिपोर्ट दर्ज की गई है।
सरकारी नौकरी का दिया झांसा
जगदीश बरेली के सिविल लाइंस में परिवार सहित रहते हैं। शिकायत के अनुसार, उनका कहना है कि वो आरोपी शिवेंद्र प्रताप सिंह को व्यक्तिगत रूप से जानते थे। शिवेंद्र ने ही उन्हें दिवाकर गर्ग और आचार्य जयप्रकाश से मिलवाया था। आरोपी ने दावा किया था कि उसके राजनीतिक संबंध काफी मजबूत हैं। उसने जगदीश को सरकारी आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या इसी तरह के प्रतिष्ठित पद दिलाने का वादा किया था।
3 महीने में 10 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसे लौटाने का किया था वादा
जगदीश का भरोसा जीतने के बाद 5 लोगों के ग्रुप ने कथित तौर पर उनसे 25 लाख रुपये लिए, जिसमें 5 लाख रुपये नकद और 20 लाख रुपये तीन अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करवाए थे। रुपये देते समय तय हुआ था कि काम नहीं होने पर 3 महीने में 10 प्रतिशत ब्याज के साथ रुपये लौटा दिए जाएंगे। जालसाजों ने 6 महीने बाद भी रुपये नहीं लौटाए और काम भी नहीं कराया।
जगदीश ने पैसे वापस मांगे तो मिली धमकी
जगदीश ने आरोप लगाया कि शिवेंद्र और उसके साथी रैकेट बनाकर लोगों को अपने राजनीतिक रसूख का हवाला देकर उनसे ठगी करते हैं। वे लोगों को बेवकूफ बनाकर उनसे रुपये ऐंठते हैं। जब इन लोगों से रुपये वापस मांगो तो ये धमकियां देते हैं और बदतमीजी से पेश आते हैं। जगदीश के मुताबिक, ठगों ने अपने राजनीतिक संबंधों के अपने झूठे दावों को मजबूत करने के लिए अपने ही एक साथी को अधिकारी बनाकर उनसे मिलवाया, जिसका नाम हिमांशु था।