शकीरा खलीली की कहानी, जिनके खौफनाक हत्याकांड पर आ रही डॉक्यूमेंट्री सीरीज 'डांसिंग ऑन द ग्रेव'
बीते दिन डाॅक्यूमेंट्री सीरीज 'डांसिंग ऑन न ग्रेव' का ट्रेलर रिलीज हुआ, जिसके बाद शकीरा खलीली फिर चर्चा में आ गईं। इसके जरिए खलीली की हत्या का खौफनाक मंजर दर्शकों के बीच पेश किया गया। 4 भाग में बनी इस सीरीज को पैट्रिक ग्राहम ने लिखा और इसका निर्देशन भी उन्होंने ही किया है। यह सीरीज अमेजन प्राइम वीडियो पर 21 अप्रैल को रिलीज हो रही है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कौन थीं शकीरा खलीली।
जन्म और परिवार
शाकीरा राजसी परिवार से आने वाली एक अरबपति महिला थीं, जो कंस्ट्रक्शन का बिजनेस करती थीं। उनका जन्म 27 अगस्त, 1945 को मद्रास में एक पारसी मुस्लिम परिवार में हुआ था, जो 1900 की शुरुआत में मद्रास से सिंगापुर बस गया था। वह गुलाम हुसैन नमाजी और गौहर ताज बेगम नमाजी नी मिर्जा की बेटी थीं। मैसूर राजघराने के पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल उनके दादा थे। शकीरा के एक बड़े भाई हैं, जो एक टीवी पत्रकार थे।
18 की उम्र में पहली शादी
1965 में 18 की उम्र में शकीरा ने मद्रास से अपनी मां की सगी बहन शाह ताज बेगम के बेटे अकबर मिर्जा खलीली से लव मैरिज की। वह एक जाने-माने टेनिस खिलाड़ी थे। अकबर IFS अफसर भी थे। 1954 में अकबर भारतीय विदेश सेवा में शामिल हो गए। उन्होंने दिल्ली, बगदाद, कोलंबो, पेरिस और अम्मान में विभिन्न पदों पर काम किया। वह ऑस्ट्रेलिया में भारत के हाई कमिश्नर भी थे। बाद में वह ईरान में भारतीय राजदूत बन गए।
टूट गया रिश्ता
शकीरा की अकबर से 4 बेटियां हुईं। दोनों की शादी खूबसूरत थी। समाज में इज्जत थी, लेकिन उनके इस रिश्ते को किसी की नजर लग गई। शकीरा को कंस्ट्रक्शन यानी इमारतें बनाने में दिलचस्पी थी। वह धीरे-धीरे इसी तरफ झुक रही थीं। इसी बीच बेंगलुरु जाकर अपने पर-दादा के साथ इमारते बनाने में जुट गईं। 1982 में उनकी मुलाकात मुरली मनोहर मिश्रा उर्फ स्वामी श्रद्धानंद से हुई, जिसके प्यार में गिरफ्तार होकर शकीरा ने अकबर के साथ नाता तोड़ दिया।
कर ली दूसरी शादी
अकबर अक्सर काम के चक्कर में बाहर रहते थे। शकीरा को लगता था कि अकबर उन्हें समय नहीं दे रहे। ऐसे में श्रद्धानंद के पास उन्हें समय मिला। मीठी-मीठी बातें मिलीं। प्यार हो गया। 1984 में शकीरा ने अकबर से तलाक ले लिया और 1986 में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत श्रद्धानंद से शादी कर ली। उनकी बेटियों को इससे काफी झटका लगा। उन्होंने अपने पिता का साथ दिया। शकीरा की मां भी इस शादी से नाखुश और खफा थीं।
अचानक गायब हो गईं शकीरा
शादी के 4-5 साल तक सबकुछ ठीक रहा। शकीरा की दौलत पर श्रद्धानंद ऐशो-आराम की जिंदगी बिताने लगा। 4 बेटियों में से 3 बेटियां मां से अलग हो गईं, लेकिन बड़ी बेटी सबा मां से दूर नहीं रह पाईं। वह बीच-बीच में अपनी मां से मिलने आती रहती थीं। अचानक एक दिन शकीरा गायब हो गईं। सबा ने कई फोन किए, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। मां की खोज में दरबदर भटक रहीं सबा मुंबई से बेंगलुरु चली आईं।
श्रद्धानंद ने नींद की दवा देकर जिंदा दफन किया
अप्रैल, 1991 में श्रद्धानंद ने पत्नी शकीरा की करोड़ों की प्रॉपर्टी हड़पने के लिए पहले चाय में नींद की दवा देकर उन्हें बेहोश किया। फिर बेंगलुरु की रिचमंड रोड पर बने बंगले में ले जाकर ताबूत में बंद कर जिंदा दफना दिया। सबा ने श्रद्धानंद से मां के बारे में पूछा तो उसने कहा, "शकीरा प्रेग्नेंट हैं और अमेरिका के रुजवेल्ट हॉस्पिटल में चेकअप के लिए गई हैं।" इसके बाद सबा ने अपनी मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस ने झाड़ दिए थे हाथ
राजघराने से जुड़ा मामला होने के कारण पुलिस ने तेजी से जांच भी शुरू की, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया। इस केस को बंद तक करने की नौबत आ गई थी, लेकिन ठीक 3 साल बाद ऐसा कुछ हुआ, जिसने पुलिस को कातिल तक पहुंचा दिया। पुलिस को पहला शक श्रद्धानंद पर ही था, उससे पूछताछ भी की गई थी, लेकिन उसके राजसी ठाठ-बाट और रसूख के कारण पुलिस उसके साथ सख्ती नहीं बरत पा रही थी।
नौकर ने खोल दिया राज
29 अप्रैल, 1994 की रात बेंगलुरु क्राइम ब्रांच का कॉन्स्टेबल शराब के ठेके पर बैठा था, तभी नशे में धुत श्रद्धानंद का नौकर कॉन्स्टेबल के सामने डींगे हांकने लगा। कहने लगा कि जिस शकीरा को पुलिस ढूंढ रही है, वो तो जिंदा ही नहीं है।
क्यों दिया हत्या को अंजाम?
इसके बाद श्रद्धानंद को पुलिस हिरासत में लिया गया। उसने पत्नी की हत्या करने की वजह बताई। श्रद्धानंद ने बताया कि उसने शकीरा से उसकी 600 करोड़ रुपये की दौलत के लिए प्यार और शादी की थी। दौलत उसे मिलने भी वाली थी, लेकिन शकीरा के एक फैसले ने उसके सपनों को तोड़ दिया। दरअसल, शकीरा ने अपनी सारी दौलत अपनी चारों बेटियों को देने का फैसला कर लिया था। इसके बाद श्रद्धानंद ने शकीरा की हत्या की योजना बनाई।
जेल में बंद है श्रद्धानंद
श्रद्धानंद को मौत की सजा सुनाई गई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में आजीवन कारावास में बदल दिया। श्रद्धानंद जेल में सजा काट रहा है। कानून के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि किसी की लाश को खोदकर निकालने का वीडियो बनाया गया।
न्यूजबाइट्स प्लस
इस मर्डर केस की पूरी कहानी 'डांसिंग ऑन द ग्रेव' में दिखेगी। इसका नाम भी इस मामले से जुड़ी एक घटना से प्रेरित है। दरअसल, शकीरा को जमीन में गाड़ने के बाद श्रद्धानंद ने उसी घर में पार्टी की थी, जहां खूब नाच-गाना हुआ था।