Page Loader
IAS-IPS बनने की चाह में दूसरे पेशों पर पड़ा बुरा असर, समिति ने दिए अहम सुझाव
सिविल सेवक बनने के लालच में अन्य पेशों पर पड़ रहा बुरा असर

IAS-IPS बनने की चाह में दूसरे पेशों पर पड़ा बुरा असर, समिति ने दिए अहम सुझाव

लेखन राशि
Aug 04, 2023
04:00 pm

क्या है खबर?

भारत में हर साल लाखों की संख्या में छात्र संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होते हैं। इस परीक्षा की तैयारी करने की होड़ में कई छात्र अपना समय और करियर दोनों बर्बाद कर देते हैं। इसी बीच संसद की एक समिति ने गुरुवार को इस संबंध में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। समिति ने कहा कि सिविल सेवक बनने के लालच में मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे कई महत्वपूर्ण पेशों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

समिति

समिति ने आगे क्या कहा?

भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने आगे कहा, "मौजूदा समय में UPSC सिविल सेवा में की जाने वाली 70 प्रतिशत से अधिक भर्तियां तकनीकी विषय से होती हैं। ऐसे में हम हर साल सैंकड़ों युवाओं को खो रहे हैं जो विशिष्ट क्षेत्रों में अच्छा काम कर सकते हैं।" समिति ने कहा कि कई सारे डॉक्टर और इंजीनियर अपने पेशों को छोड़कर सिविल सेवक बन रहे हैं। ये देश के लिए अच्छा नहीं है।

भर्ती

भर्ती प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने का सही समय

संसदीय समिति ने कहा कि सिविल सेवक बनने का आकर्षण अन्य क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। हर साल हम सैंकडों प्रतिभावान डॉक्टरों और इंजीनियरों को खो रहे हैं। इनका होना राष्ट्र के लिए बड़ा आवश्यक है। ऐसे में सिविल सेवाओं के लिए पूरी भर्ती प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है। समिति ने उम्मीदवारों की ट्रेनिंग प्रक्रिया में भी बदलाव कर कानूनी भाग का प्रशिक्षण देने का सुझाव रखा।

समिति

समिति ने दिए 10 साल के आंकड़ें

समिति ने अपनी रिपोर्ट में पिछले 10 सालों का आंकड़ा दिया। इसमें बताया गया कि सिविल सेवा परीक्षा, 2020 में कुल 833 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। इसमें से 541 अभ्यर्थी यानि 65 प्रतिशत अभ्यर्थी इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि, 33 अभ्यर्थी मेडिकल से और 193 अभ्यर्थी मानविकी पृष्ठभूमि से थे। सिविल सेवा परीक्षा, 2019 के माध्यम से 922 अभ्यर्थी चुने गए थे। इसमें से 582 अभ्यर्थी इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि, 223 अभ्यर्थी मानविकी और 56 अभ्यर्थी मेडिकल पृष्ठभूमि से थे।

हर

भर्ती प्रक्रिया पूरी होने में लगता है 1 साल का समय

समिति ने बताया, "UPSC हर साल लगभग 1,000 पदों पर नियुक्ति करता है। एक भर्ती प्रक्रिया को पूरी होने में 6 महीने से लेकर 1 साल तक का समय लगता है। इस लंबी चलने वाली प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों के बहुत सारे खर्चे शामिल हैं। इससे मानव पूंजी का नुकसान होता है। ऐसे में भर्ती चक्र की अवधि को लेकर विचार किया जाना चाहिए।" समिति ने सिविल सेवा के पैटर्न में बदलाव को लेकर भी विचार जानने की कोशिश की।