UPSC सिविल सेवा या कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी? फायदे और नुकसान यहां से जानें

हर साल संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) विभिन्न सिविल सेवा पदों पर भर्ती के लिए सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करता है। सिविल सेवा में करियर बनाना देश में कई लोगों का सपना होता है। हालांकि, भारत में युवाओं के बीच कॉरपोरेट सेक्टर में करियर बनाना भी काफी पसंदीदा विकल्प है। अगर आप भी इन दोनों करियर विकल्पों के बीच कन्फ्यूज हैं, तो हम आपको इस लेख में बताएंगे कि किस करियर में क्या फायदे और क्या नुकसान हैं।
UPSC CSE कठिन है। लाखों की संख्या में उम्मीदवार इस परीक्षा के लिए उपस्थित होते हैं, लेकिन केवल कुछ ही उम्मीदवार इसमें चयनित हो पाते हैं। जहां एक तरफ इसमें चयन की संभावना कम है और कठिनाई स्तर बहुत अधिक है। वहीं अगर हम कॉर्पोरेट की बात करें, तो इसमें भी उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा और साक्षात्कार से गुजरना होगा, जो कि मुश्किल भी हो सकता है। लेकिन इसमें संभावनाएं अधिक हैं क्योंकि नौकरियों/कंपनियों की संख्या काफी अधिक है।
जब आप किसी भी नौकरी के फायदे और नुकसान का आकलन करते हैं, तो उस समय नौकरी की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। कॉर्पोरेट क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के पास नौकरी की सिक्योरिटी नहीं होती है और कभी भी उनकी नौकरी जा सकती है। सिविल की नौकरी करने वालों के पास कॉर्पोरेट सेक्टर के लोगों की तुलना में नौकरी की अधिक सिक्योरिटी होती है। बिना जांच के उन्हें नबर्खास्त नहीं किया जा सकता है।
अगर हम वेतन की बात करें, तो सिविल की नौकरी करने वालों को वेतन के साथ अन्य कई भत्ते भी मिलते हैं। लेकिन कॉर्पोरेट सेक्टर के अधिकारियों को सिविल सेवकों की तुलना में अधिक वेतन मिलता है। वे दर्शन के आधार पर अच्छा वेतन और प्रोमोशन का आनंद लेते हैं। हालांकि, सिविल सेवक कई भत्तों का आनंद लेते हैं। उन्हें मुफ्त घर, कार, शिक्षा भत्ते, चिकित्सा सुविधाएं, पेंशन, आदि भत्ते मिलते हैं। कॉर्पोरेट कर्मचारी को ऐसे भत्तों नहीं मिलते हैं।
भारत में सिविल की नौकरी करने वालों को शक्ति के साथ-साथ समाज में बहुत सम्मान और लोकप्रियता मिलती है। उन्हें लोगों द्वारा बहुत सम्मान दिया जाता है। हालांकि कॉर्पोरेट क्षेत्र में केवल बहुत अच्छी कंपनियों में अधिकारियों के पद को लोकप्रियता और सम्मान मिलता है।