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    राष्ट्रीय शिक्षा नीति: क्या है 5+3+3+4 सिस्टम और अब कैसे होगी पढ़ाई?
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    करियर 1 मिनट में पढ़ें

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति: क्या है 5+3+3+4 सिस्टम और अब कैसे होगी पढ़ाई?

    लेखन मोना दीक्षित
    Jul 30, 2020
    02:25 pm
    राष्ट्रीय शिक्षा नीति: क्या है 5+3+3+4 सिस्टम और अब कैसे होगी पढ़ाई?

    मोदी सरकार ने 34 साल बाद शिक्षा नीति में कई बदलाव किए हैं। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। इसके तहत प्री प्राइमरी क्लासेस से लेकर बोर्ड परीक्षाओं आदि में कई बदलाव किए गए हैं। यहां तक की 10+2 सिस्टम खत्म कर 5+3+3+4 की नई व्यवस्था को लागू किया जाएगा। इसके अलावा भी नई शिक्षा नीति में कई अहम बदलाव किए गए हैं।

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    5+3+3+4 सिस्टम के अनुसार होगी पढा़ई

    अभी तक हमारे देश में स्कूली सिलेबस 10+2 सिस्टम से चलता था, लेकिन अब यह 5+3+3+4 के अनुसार चलेगा। इसका मतलब है कि पहले तीन साल बच्चे आंगनबाड़ी या प्री स्कूल में प्री स्कूलिंग शिक्षा लेंगे। उसके बाद अगले दो साल स्कूल में पहली और दूसरी क्लास की पढ़ाई करेंगे। कुल मिलाकर इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए नया सिलेबस तैयार किया जाएगा। बता दें कि इसमें तीन से आठ साल तक की उम्र वाले बच्चे कवर किए जाएंगे।

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    इसके बाद होंगे तीन और स्टेज

    इसके बाद प्री प्राइमरी स्टेज में तीसरी क्लास से 5वीं तक की पढ़ाई होगी। इसमें आठ से 11 साल तक के बच्चों को कवर किया जाएगा। अब मिडिल स्टेज में 6वीं-8वीं की पढ़ाई होगी। इसमें 11-14 साल तक के बच्चों को कवर किया जाएगा। 6वीं से स्किल विषयों की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। अब अंत में सेकेंडरी स्टेज आएगा। इसमें 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई दो चरणों में होगी। इसमें 14-18 साल तक के बच्चों को कवर किया जाएगा।

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    लागू होगा मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम

    अब मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया जाएगा। अभी तक अगर किसी छात्र की पढ़ाई बीच में छूट जाती था तो उसे कोई लाभ नहीं मिलता था, लेकिन अब अगर कोई छात्र चार या तीन साल के डिग्री कोर्स की पढ़ाई बीच में छोड़ देता है तो उसे मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम के तहत लाभ मिलेगा। मतलब अगर छात्र ने एक साल की पढ़ाई की है तो सर्टिफिकेट और दो साल की है तो डिप्लोमा दिया जाएगा।

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    GDP का 6 प्रतिशत हिस्सा होगा शिक्षा पर खर्च

    नई शिक्षा नीति के अनुसार अब सरकार ने यह भी तय किया है कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का कुल 6 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। अभी तक भारत की GDP का 4.43 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा के लिए खर्च किया जाता था।

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    तीन बार हो सकती है बोर्ड परीक्षा

    छात्रों में बोर्ड परीक्षा को लेकर काफी तनाव होता है। इसलिए उनके इस तनाव को कम करने के लिए बोर्ड परीक्षाओं को भागों में बांटा जाएगा। बोर्ड परीक्षा को दो भागों वस्तुनिष्ठ और वर्णनात्मक में बांटा जा सकता है। छात्र को किसी भी विषय का कितना ज्ञान है। अब बोर्ड परीक्षा में इसका परीक्षण किया जाएगा। इतना ही नहीं अब बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को भी जोड़ा जाएगा।

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    चार साल का होगा डिग्री कोर्स

    नई शिक्षा नीति के अनुसार अब उन छात्रों के लिए डिग्री कोर्स चार साल का होगा, जो रिसर्च में जाना चाहते हैं। वहीं जो छात्र नौकरी करना चाहते हैं, उनके लिए डिग्री कोर्स तीन साल का ही होगा। इसके साथ ही अब MA करने के बाद MPhil करने की जरूरत नहीं होगी। बता दें कि अब सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) ही परीक्षा कराएगी।

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    फीस की अधिकतम सीमा होगी तय

    नई शिक्षा नीति में फीस जैसे विषयों पर भी ध्यान दिया गया है। जिसमें फीस की अधिकतम सीमा तय की गई है। इसके साथ ही इसमें यह भी तय किया गया है कि कौन सा संस्थान किस कोर्स की कितना फीस ले सकता है। इसके लिए एक मानक तैयार किया जाएगा। बता दें कि फीस की अधिकतम सीमा उच्च और स्कूली शिक्षा दोनों के लिए तय की जाएगी। इसमें सरकारी और निजी दोनों संस्थान शामिल होंगे।

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    2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने का है लक्ष्य

    सरकार का लक्ष्य 2030 तक देश के हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित करना है। साथ ही हर बच्चे के पास स्कूल से निकले के बाद लाइफ स्किल्स भी होंगी। इससे स्कूली पढ़ाई के बाद नौकरी करने की इच्छा रखने वाले छात्रों को आसानी होगी।

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    विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए खुले दरवाजे

    भारत में नई शिक्षा नीति आने के साथ-साथ विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए देश के दरवाजे भी खोल दिए गए हैं। दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय अब भारत में अपने कैंपस खोल सकेंगे। इससे देश के प्रतिभाशाली छात्रों के पलायन को रोकने में मदद मिलेगी। हल साल एक बड़ी संख्या में देश के प्रतिभाशाली छात्र उच्च अध्ययन के लिए विदेश चले जाते हैं। अब यह नहीं होगा। देश की अर्थव्यवस्था को भी इससे फायदा होगा।

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    क्षेत्रीय भाषा पर दिया जाएगा ध्यान

    नई शिक्षा नीति में कम से कम 5वीं क्लास तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा, स्थानीय भाषा और क्षेत्रीय भाषा में रखने पर जोर दिया गया है। इसे 8वीं या उससे आगे भी पढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही सेकेंडरी लेवल से ही विदेशी भाषाओं की पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी। हालांकि, नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी छात्र पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी। अन्य जानकारी के लिए यहां टैप करें।

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    1986 में बनाई गई थी राष्ट्रीय शिक्षा नीति

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सन 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई थी। इसके बाद सन 1992 में इसमें संशोधन किया गया। फिर सरकार ने दो कमेटियां बनाईं और सन 2016 में टीएसआर सुब्रमण्यम कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इसके बाद डॉक्टर के कस्तूरीरंगन कमेटी की रिपोर्ट 31 मई, 2019 को सरकार को सौंपी गई। अब आखिरकार नई शिक्षा नीति की घोषणा कर दी गई है, जो शिक्षा की गुणवत्ता के लिए जरूरी है।

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