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राष्ट्रीय मतदाता दिवस: जानिए इसका उद्देश्य और इससे जुड़े ऐतिहासिक तथ्य
राष्ट्रीय मतदाता दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य

राष्ट्रीय मतदाता दिवस: जानिए इसका उद्देश्य और इससे जुड़े ऐतिहासिक तथ्य

लेखन राशि
Jan 25, 2024
11:19 am

क्या है खबर?

लोकतांत्रिक समाज में मतदान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये नागरिकों को जनप्रतिनिधियों को चुनने के लिए सबसे बड़ा मंच प्रदान करता है। मतदान के इसी महत्व को दर्शाने के लिए हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में नए मतदाताओं के बीच नामांकन को प्रोत्साहित करना है। ये मताधिकार को मूल अधिकार के रूप में भी केंद्रित करता है। आइए इस दिवस से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में जानते हैं।

इतिहास

कब से हुई शुरुआत?

भारत में चुनाव संबंधी सभी कार्यों को चुनाव आयोग देखता है। ये एक संवैधानिक संस्थान है, इसकी स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। इसे संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से 329A के बीच वर्णित किया गया है। 25 जनवरी, 2011 को चुनाव आयोग की 61वीं वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। इस साल 14वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जा रहा है।

थीम

क्या है इस बार की थीम?

इस बार राष्ट्रीय मतदाता दिवस की थीम 'वोट जैसा कुछ नही, वोट जरूर डालेंगे हम' है। इस थीम के जरिए मतदान के प्रति लोगों की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करना है। ये इस बात पर जोर देती है कि प्रत्येक मत लोकतांत्रिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और प्रत्येक नागरिक को मतदान जरूर करना चाहिए। जब लोग अधिक मतदान करते हैं तो एक जवाबदेह सरकार का निर्माण होता है। इसी कारण मतदान पर इतना जोर दिया जाता है।

मतदान का अधिकार

महिलाओं को कब मिला वोट देने का अधिकार?

भारत में मत देने का अधिकार को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62 में बताया गया है। भारत में महिलाओं को वोट देने का अधिकार भारत शासन अधिनियम 1919 द्वारा दिया गया था। इस अधिकार को भारत शासन अधिनियम 1935 के तहत विस्तारित किया गया था। स्वतंत्र भारत में पहले आम चुनाव 1951-52 में हुए थे। उस समय मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे। आमतौर पर 5 वर्ष के कार्यकाल के बाद आम चुनाव होते हैं।

मतदान की आयु

कब 18 साल की गई मतदान की आयु?

संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत सभी नागरिकों को सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार प्रदान किया गया है। पहले मतदान करने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी, जिसे 61वें संविधान संशोधन अधिनियम 1988 के तहत 18 वर्ष कर दिया गया था। ये बदलाव वी एन तारकुण्डे समिति की सिफारिश के बाद लागू किया गया था। भारत में चुनाव सुधार से संबंधित समितियों में दिनेश गोस्वामी समिति, के संथानम समिति, इंद्रजीत गुप्त समिति आदि शामिल हैं।