नकारात्मक बॉडी लैंग्वेज से पड़ता है गलत प्रभाव, ऐसे करें सुधार
अक्सर लोगों को सलाह दी जाती है कि करियर में आगे बढ़ने के लिए कम्युनिकेशन स्किल्स के साथ बॉडी लैंग्वेज पर खास तौर पर ध्यान देना चाहिए। ये जरूरी भी है। बॉडी लैंग्वेज हमारे हाव-भाव को बताने वाली एक शारीरिक भाषा है। अगर आपने इस भाषा पर पकड़ बना ली तो करियर में सफलता की सीढ़ी चढ़ने में देर नहीं लगेगी। यहां हम आपको बॉडी लैंग्वेज सुधारने के कुछ आसान टिप्स बता रहे हैं।
कंधे और पीठ सीधी रखें
किसी भी व्यक्ति के साथ बात करते समय अपने कंधे और पीठ को सीधा रखें। झुकी पीठ और झुके कंधे आपमें आत्मविश्वास की कमी को दर्शाते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि आपकी बॉडी लैंग्वेज में किसी प्रकार की अकड़ नहीं होनी चाहिए। दोनों पंजों पर सामान भार रखें। अगर आप बैठ कर कोई इंटरव्यू दे रहे हैं तो पैरों को लगातार न हिलाएं। इससे आपके घबराया हुआ होने का संकेत जाता है।
उचित दूरी बनाकर बात करें
बॉडी लैंग्वेज सुधारने का एक बेहद महत्वपूर्ण कदम है लोगों से उचित दूरी बना कर बात करना। इस बात का ध्यान रखें कि आप सामने वाले व्यक्ति के न ज्यादा करीब होकर बात करें और न ही ज्यादा दूर खड़े होकर। ज्यादा पास खड़े होने पर सामने वाले व्यक्ति असहज हो जाएंगे और दूर से बात करने पर वे आपकी बातों को समझ नहीं पाएंगे, इसलिए एक उचित दूरी बना कर बात करें।
हाथों को खुला रखें
किसी से बात करते समय या इंटरव्यू देते समय अपने हाथों को बार-बार आपस में न रगड़ें। एक और बात का ध्यान रखें कि किसी से बात करते वक्त हथेली बंधी होने की बजाय खुली होना चाहिए। मुट्ठी बांधने से आप असहज और आक्रामक रख सकते हैं। किसी को अपनी बात समझाते हुए हाथों का इस्तेमाल जरूर करें। ऐसा करने से सामने वाला व्यक्ति आपकी बातचीत में रुचि लेगा। हाथों से बार-बार अपने बालों को ठीक न करें।
आई कॉन्टैक्ट बनाएं
किसी भी व्यक्ति से बात करते समय उससे आई कॉन्टैक्ट बनाएं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि सामने वाला असहज महसूस न करे। आई कॉन्टैक्ट बनाए रखने से सामने वाले को लगता है कि आप उनकी बातों में रुचि ले रहे हैं, वहीं अगर आप बार-बार नीचे या ऊपर की तरफ देखते हैं या अपनी घड़ी को देखते हैं तो गलत संदेश जाता है। आई कॉन्टैक्ट बनाने से जानकारी मिलती है कि आप कितने आत्मविश्वासी हैं।
सामान्य पिच में बोलें, सकारात्मक रहें
किसी भी व्यक्ति से विनम्रता से बात करें। अपनी बात कहते हुए चेहरे पर हल्की मुस्कान रखें। किसी से भी मिले तो सकारात्मक ऊर्जा के साथ मिलें। अपनी भाषा सरल रखें और बोलते समय पिच का ध्यान रखें। ज्यादा धीमे या चिल्लाकर बोलने से बचें। बोलते हुए स्पष्टता रखें, अटक-अटक कर न बोलें। अपने विचारों को बताते समय बिल्कुल न झिझकें। अगर किसी से बात करते समय घबराहट हो रही है तो 2 मिनट के लिए लंबी गहरी सांस लें।