स्मार्टफोन की लत में बच्चे नहीं सुन रहे आपकी बात तो ऐसे करें उनसे बातचीत
क्या है खबर?
भारत में इन दिनों बच्चों में स्मार्टफोन की लत दिखाई दे रही है। इस लत से युवा बीमारियों की चपेट में आने के साथ अपने करियर में भी पीछे हो रहे हैं।
स्मार्टफोन चलाने की हौड़ में बच्चे अपने माता-पिता की बातों को तवज्जो नहीं देते। माता-पिता की राय न मानने के चलते उन्हें जीवन के कई पड़ावों में असफलताएं भी मिलती है।
आइए जानते हैं कि माता-पिता बच्चों से कैसे अच्छी बातचीत कर सकते हैं।
शब्द
बच्चे का ध्यान अपनी ओर खीचें
जब तक आप बच्चे का ध्यान अपनी ओर आकर्षित नहीं कर लेते तब तक अपनी बात करना शुरू न करें।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब हम किसी व्यक्ति से जुड़ाव महसूस करते हैं तब ही उनकी बातें समझ पाते हैं।
बच्चों से कोई भी बात करने से पहले उसके साथ जुड़ाव स्थापित करें और उनकी आंखों में देखें।
थोड़ी देर के लिए अपना और बच्चे का फोन किसी दूसरे कमरे में रख दें। उनके साथ बैठकर बात करें।
लंबे
घुमा-फिराकर बात न करें
अक्सर माता-पिता बच्चों को कटाक्ष करते हुए अपनी बात समझाते हैं। किसी दूसरे बच्चों से तुलना करते हुए अपनी बात कहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए।
आपको जो बात कहनी है, उसी प्वाइंट पर रहकर बात करें। घुमा-फिराकर बात न करें।
बहुत ज्यादा लंबे वाक्य और बड़े शब्दों का इस्तेमाल करने की बजाय सरल और सीधे शब्दों में अपनी बात कहें।
इससे बच्चे आपकी बात जल्दी समझ लेंगे और उसका पालन भी करेंगे।
भावना
बच्चों की भावनाओं को समझने की कोशिश करें
अगर आप चाहते हैं कि बच्चे आपकी बात मानें तो उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।
कई अभिभावक करियर या नौकरी को लेकर बच्चों पर दबाव बनाते हैं। इस दबाव से बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और माता-पिता से दूर भागने लगते हैं।
बेहतर होगा कि आप सभी मुद्दों पर उनकी राय जानने की कोशिश करें और उनके फैसलों का सम्मान भी करें।
आप करियर/नौकरी जैसे बड़े निर्णय लेने में काउंसलर की मदद ले सकते हैं।
सकारात्मक
सकारात्मक और सही शब्दों का इस्तेमाल करें
बच्चे आपकी बात सुनेंगे या नहीं, ये बात काफी हद तक आपके समझाने के तरीके पर निर्भर करती है। बच्चों को सकारात्मक तरीके से समझाएं।
नकारात्मक बातें करने से बच्चे आपसे दूर भागने लगेंगे। इसकी जगह बच्चों से कहें कि अगर इस तरीके से काम करोगे तो जरूर कामयाबी मिलेगी।
बातचीत के दौरान सही शब्दों का इस्तेमाल करें। बच्चों पर चिल्लाने की जगह उन्हें प्यार से समझाने की कोशिश करें।
विकल्प
बच्चों को विकल्प दें
अगर आप चाहते हैं कि बच्चा आपकी बात सुने तो उसे कुछ विकल्प दें। अगर वो एक काम नहीं करना चाहते तो उन्हें दूसरे काम करने का विकल्प दें।
काम करवाने के लिए आप तोहफे का विकल्प भी दे सकते हैं। बच्चों को हतोत्साहित करने की जगह उन्हें हर छोटी चीज़ के लिए प्रोत्साहित करें।
इससे काफी बदलाव आएगा। बच्चे हर काम को लगन से करेंगे और उसमें सफल भी हो सकेंगे।