घट रही है UPSC सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की संख्या, जानें कारण
क्या है खबर?
हिन्दी माध्यम के छात्रों को होशियार माना जाता है और साथ ही वे UPSC परीक्षा को पास करने की भी काबिलियत रखते हैं, लेकिन हाल ही में एक खबर आई है जो इन बातों पर प्रश्न चिन्ह लगा सकती है।
पिछले कुछ वर्षों में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित की जा रही सिविल सेवा परीक्षा को उत्तीर्ण करने वालों में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा रही है।
उम्मीदवार
साल 2018 में 370 सफल उम्मीदवारों में से केवल 8 ने दी थी हिन्दी में परीक्षा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2018 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी में 370 उम्मीदवार प्रशिक्षण ले रहे थे, जिसमें से केवल 8 उम्मीदवारों ने ही हिंदी में परीक्षा दी थी।
वहीं अगर हम साल 2013 की बात करें तो 268 सफल उम्मीदवारों में से 34 उम्मीदवारों ने हिंदी में परीक्षा दी थी।
आपको बता दें कि कुछ समय से हिंदी माध्यम के विश्वविद्यालयों से पढ़े उम्मीदवारों का चयन कम हुआ है।
जानकारी
केवल 55 उम्मीदवारों ने ही की थी आर्ट्स से पढ़ाई
साल 2018 में प्रशिक्षण ले रहे 370 उम्मीदवारों में से 280 ने विज्ञान, टेक्नोलॉजी, फॉर्मा और तकनीकी विषयों में पढ़ाई की है। इसमें से 149 उम्मीदवार B.Tech ग्रेजुएट और 75 B.E ग्रजुएट थे। सिर्फ 55 उम्मीदवारों ने ही आर्ट्स के विषयों में पढ़ाई की है।
गिरावट
साल 2011 से देखी गई गिरावट
जब से साल 2011 में प्रारंभिक परीक्षा में CSAT को शामिल किया गया, तब से हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की संख्या में गिरावट शुरू हो गई।
साल 2013 में सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में भी बदलाव कर दिया गया। छात्र दो वैकल्पिक विषय चुन सकते थे। सामान्य अध्ययन 400 नंबर और CSAT 200 अंकों का होता है।
अंग्रेजी कंप्रीहेंशन के अनुवाद जटिल होने के कारण हिंदी माध्यम के छात्र उन सवालों में फंस जाते हैं।
छात्रों की संख्या
2018 में हिंदी माध्यम छात्रों की संख्या थी मात्र 2.16 प्रतिशत
अगर हम सफलता के ग्राफ की बात करें तो साल 2013 में हिंदी माध्यम के चयनित उम्मीदवारों की संख्या 17 प्रतिशत थी।
वहीं साल 2014 में यह आंकड़ा 2.11 प्रतिशत था, 2015 में 4.28 प्रतिशत, 2016 में 3.45 प्रतिशत और 2017 में 4.06 प्रतिशत था। साल 2018 में हिंदी मीडियम से चयनित उम्मीदवारों की संख्या मात्र 2.16 प्रतिशत है।
2005 से लेकर 2008 के बीच हिंदी में सविल सर्विसेज परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या 12-15 फीसदी के बीच थी।
कारण
हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की संख्या कम होने के क्या है कारण?
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग के सचिव सत्यानंद मिश्रा के अनुसार मातृ भाषाओं में पढ़ाई की गुणवत्ता खराब होने के कारण और विश्वविद्यालयों में इन भाषाओं में अच्छे छात्रों की कमी इसका सबसे प्रमुख कारण है।
अब मध्यमवर्गीय परिवार बड़ी संख्या में अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजते हैं। इस वजह से अंग्रेजी के उम्मीदवारों की संख्या बढ़ रही है।
2013 में 202 में से मात्र 48 उम्मीदवार ही हिंदी मीडियम स्कूलों में पढ़े थे।