उत्तर प्रदेश: फिर अटकी 69,000 शिक्षकों की भर्ती, सरकार के लिए बड़ा झटका
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में हो रही 69,000 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस भर्ती के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे लोगों को अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा। हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि उम्मीदवार एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के सामने विवादित प्रश्नों पर आपत्तियां रखें। इसके बाद सरकार द्वारा इन आपत्तियों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के पास भेजा जाएगा।
12 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा में पूछे गए कुल 13 प्रश्नों के लिए याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया है कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी आंसर की (उत्तर माला) में उन प्रश्नों के आंसर कुछ और थे, जबकि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों में उनके अलग आंसर है।
आज से शुरू होनी थी काउंसलिंग
बता दें कि उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में परिषदीय स्कूलों के लिए 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित उम्मीदवारों की काउंसलिंग 3 जून से 7 जून तक होनी थी। इसके बाद संबंधित जिले से नियुक्ति पत्र भी जारी किए जाने थे। ऐसी स्थिति में भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगना उम्मीदवारों के साथ-साथ राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। सरकार जल्द से जल्द ये नियुक्तियां करना चाहती थी।
कट ऑफ के कारण पहले ही हो चुकी है देरी
बता दें कि भर्ती परीक्षा 6 जनवरी, 2019 को ही हो गई थी, लेकिन इसका रिजल्ट मई, 2020 में जारी किया गया। इन पदों के लिए चार लाख से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। परीक्षा के बाद सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए कटऑफ 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत तय की गई। इस आदेश को लेकर उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी थी। जिस कारण रिजल्ट जारी होने इतनी देरी हुई।
तीन महीने में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का दिया गया था आदेश
इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कटऑफ बढ़ाने के इस फैसले को सही बताया और उसी अनुसार तीन महीने के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश भी दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले सितंबर, 2018 में 68,500 शिक्षक भर्ती के लिए लिखित परीक्षा हुई थी। इसमें सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 45 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत कटऑफ तय की गई थी।